Thursday, September 7th, 2017 12:00:54
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नए चेहरे जो बने हैं मोदी केबिनेट की शोभा, जानें इनके बारे में थोड़े में बहुत कुछ




नए चेहरे जो बने हैं मोदी केबिनेट की शोभा, जानें इनके बारे में थोड़े में बहुत कुछPolitics

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रविवार को मोदी सरकार के मंत्रीमंडल का तीसरी बार और संभवतः अंतिम बार विस्तार हुआ, जिसमें राज्यमंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमन और मुख़्तार अब्बास नक़वी को प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, साथ ही ये नए चेहरे भी केबिनेट की शोभा बन गए हैं :- आइये जानते हैं इनके बारे में थोड़े में बहुत कुछ :-

1. शिव प्रताप शुक्ला (राज्यमंत्री)

शिव प्रताप शुक्ला यूपी से राज्यसभा के सांसद हैं। ग्रामीण विकास के लिए वो संसद की स्थाई समिति के सदस्य हैं। वे 1989, 1991, 1993 और 1996 में यूपी विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। साथ ही वे 8 साल तक यूपी के मंत्री रह चुके हैं और ग्रामीण विकास, शिक्षा और जेल सुधार के लिए किए गए कार्यों के लिए जाने जाते हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी से क़ानून की पढ़ाई करने वाले शुक्ला ने 70 के दशक में स्टूडेंट पॉलिटिक्स शुरू की थी। आपातकाल के दौरान वे 19 महीनों तक जेल में रहे थे।

2. अश्विनी कुमार चौबे (राज्यमंत्री)

अश्विनी कुमार चौबे बिहार के बक्सर से लोकसभा सांसद हैं। वे केंद्रीय सिल्क बोर्ड के सदस्य हैं। वे ऊर्जा पर संसद की स्थाई समिति के सदस्य हैं। चौबे 5 बार बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं, वे 8 साल तक बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं और स्वास्थ्य, शहरी विकास जैसे मंत्रालय संभाले हैं। चौबे 70 के दशक में जे. पी. आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे और उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति शुरू की थी. वो पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। चौबे आपातकाल के दौरान हिरासत में लिए गए थे। चौबे 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ में परिवार सहित फंस गए थे। अपने इस अनुभव पर उन्होंने किताब भी लिखी है। चौबे प्राणी विज्ञान में स्नातक हैं और योग में विशेष रूचि रखते हैं।

3. डॉ. वीरेंद्र कुमार (राज्यमंत्री)

डॉ. वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं, तथा वे लोकसभा के लिए 6 बार निर्वाचित हुए हैं। वे श्रम पर बनी संसद की स्थायी समिति के चैयरमैन हैं और नेशनल सोशल सिक्यूरिटी बोर्ड के चैयरमैन रह चुके हैं। वीरेंद्र कुमार जे. पी. आंदोलन में सक्रिय रहे और आपातकाल के दौरान 16 महीनों तक जेल में रहे। उन्होंने स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर आंदोलन भी चलाया और स्टूडेंट्स के लिए लाइब्रेरी भी शुरू की। दलित समाज से आने वाले वीरेंद्र कुमार अर्थशास्त्र में MA हैं और उन्होंने बाल श्रम पर शोध करके डॉक्ट्रेट की उपाधि ली है।

4. अनंत कुमार हेगड़े (राज्यमंत्री)

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ा से लोकसभा सांसद अनंत कुमार हेगड़े मानव संसाधन विकास और विदेश मामलों की स्थाई संसदीय समितियों के सदस्य हैं। 28 वर्ष की उम्र में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हेगड़े अब 5वी बार लोकसभा सांसद हैं। वे 4 साल तक भारत के मसाला बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। वे ग्रामीण विकास के लिए काम कर रही एक NGO भी चलाते हैं। हेगड़े कोरियाई मार्शल आर्ट ताईक्वांडो भी जानते हैं।

5. राजकुमार सिंह (राज्यमंत्री)

राजकुमार सिंह बिहार के आरा से लोकसभा सांसद हैं और वे कई संसदीय समितियों के सदस्य हैं। राजकुमार सिंह 1975 बैच के बिहार काडर के IAS अधिकारी हैं और भारत के गृह सचिव रह चुके हैं। अपने लंबे प्रशासनिक करियर में वे बिहार और केंद्र में नियुक्त रहे हैं। दिल्ली के सैंट स्टीफंस कॉलेज से अंग्रेज़ी साहित्य की पढ़ाई करने वाले सिंह ने क़ानून की डिग्री भी ली है। उन्होंने नीदरलैंड्स की RVB डेफ्ट यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है।

6. हरदीप सिंह पुरी (राज्यमंत्री)

हरदीप सिंह पुरी 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं और विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में अपने अनुभव और विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। वे इंटरनेशनल पीस इंस्टीट्यूट न्यूयॉर्क के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। पुरी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत रह चुके हैं। इसके अलावा वे ब्रिटेन और ब्राज़ील में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं और जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रह चुके हैं। पुरी संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद निरोधी समिति के चैयरमैन भी रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की है तथा वे जे. पी. आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय थे। विदेश सेवा के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए सैंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाया भी।

7. गजेंद्र सिंह शेखावत (राज्यमंत्री)

राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह चौहान संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति के सदस्य हैं। वे फ़ेलोशिप समिति के चैयरमैन भी हैं तथा वे ब्लॉगिंग वेबसाइट क्वोरा पर काफी चर्चित हैं, जहां उन्हें 50 हज़ार से ज़्यादा लोग फॉलो करते हैं। बॉस्केटबॉल में वो राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। वे इस समय बॉस्केबॉल इंडिया प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। तथा वे ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ़ स्पोर्ट्स के सदस्य भी हैं। उन्होंने जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर से दर्शनशास्त्र में MA और M.Phil. किया है।

8. डॉ. सत्यपाल सिंह (राज्यमंत्री)

यूपी के ही बाग़पत से लोकसभा सदस्य सत्यपाल सिंह आंतरिक मामलों की स्थाई संसदीय समिति के सदस्य हैं और लाभ के पद मामलों की संयुक्त समिति के चैयरमैन हैं। IPS के 1980 बैच के अधिकारी सत्यपाल सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके हैं।1990 के दशक में आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाक़ों में दी गई सेवा के लिए उन्हें विशेष सेवा मेडल मिल चुका है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक भी दिया था। सत्यपाल सिंह ने नक्सल मामलों पर किताबें भी लिखी हैं। वे वैदिक शास्त्र और संस्कृत के विद्वान भी हैं। बाग़पत के बसौली गांव में पैदा हुए सत्यपाल ने रसायन विज्ञान में M.Sc. और M.Phil. किया है। इसके अलावा उन्होंने नक्सल मुद्दों पर Ph.D. भी किया है।

9. अल्फ़ोंस कन्ननथनम (राज्यमंत्री)

के. जे. अल्फ़ोंस केरल काडर के 1979 बैच के IAS अधिकारी हैं और वकील भी हैं। DDA के आयुक्त रहे अल्फो़ंस डेमोलिशन मैन के नाम से चर्चित रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में करीब 15 हज़ार अवैध इमारतों को ध्वस्त किया था। अपने इस काम की वजह से 1994 में वो टाइम पत्रिका की 100 यंग ग्लोबल लीडर्स सूची में शामिल हो गए थे। केरल के कोट्टायम ज़िले के एक बिजली रहित गांव में पैदा हुए अल्फ़ोंस ने कोट्टायम का ज़िलाधिकारी रहते हुए इसे 1989 में देश का पहला 100% शिक्षा वाला ज़िला बना दिया था। उन्होंने 1994 में जनशक्ति नामक NGO का भी गठन किया था, जो सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए काम करता था।IAS से सेवानिवृत्ति लेकर अल्फ़ोंस 2006 से 2011 तक निर्दलीय विधायक भी रहे। बाद में वे BJP में शामिल हो गए थे। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2017 तैयार कर रही समिति के सदस्य भी हैं।

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