कहते हैं हर बच्चे के अंदर एक टैलेंट होता है। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बचपन में टीवी, रेडियो खोलकर बैठ जाते थे और उन्हें उसमें कुछ भी समझ नहीं आता था उसमें से चीज़ें निकालकर वो कुछ और ही बना देते थे। ऐसे बच्चों को इंडिया में अक्सर जुगाड़ू कहा जाता है। ऐसे बच्चे तो आपने खूब देखें होंगे लेकिन चलिए हम आपको एक जुगाड़ू इंजीनियर की कहानी बताते हैं जिसने जुगाड़ से अपनी गाड़ी का एवरेज बदलकर रख दिया।
इंजीनियरिंग का दूसरा नाम ही जुगाड़ होता है क्योंकि इसमें से यहां-वहां से लेकर कुछ नया बनाना होता है। इसके लिए दिमाग भी खुराफाती ही होना चाहिए। ऐसा खुराफाती दिमाग कौशांबी के विवेक कुमार के पास है जिन्होंने ने हाल ही में अपनी गाड़ी का एवरेज इतना बढ़ा दिया कि आप सोच भी नहीं सकते।
विवेक 12 वीं पास होने के बाद से मोटर बाइक रिपेयरिंग की दुकान पर बैठते थे। वहां उन्हें आइडिया आया कि क्यों न इंजन में थोड़ा बदलाव करके एवरेज को कम किया जाए। उनकी कोशिश रंग लाई और उन्हें एवरेज को डेड़ से दो गुना करने में मदद मिली। अब उनकी गाड़ी 153 किमी प्रति लीटर का एवरेज दे रही है।
ऑटोमोबाइल की फील्ड में ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश काउंसिंल फॉर साइंस ऐंड टेक्नॉलजी (यूपीसीएसटी) और मोती लाल नेहरू नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी इलाहाबाद ने इनकी इस तकनीक को प्रमाणित भी किया है। तीन बीघा खेती से परिवार का पेट भरने वाले विवेक ने सोचा भी नहीं था कि बाइक के इंजन से छेड़छाड़ उनकी किस्मत बदल सकती है।
विवेक ने जब ये सफलता हासिल की तो कुछ लोगों की मदद से वह काउंसिल के संपर्क में आए, जहां उनके आइडिया को और विकसित किया गया। यूपीसीएसटी के इनोवेशन ऑफिसर संदीप द्विवेदी ने बताया कि काउंसिल ने इनोवेशन को तकनीकी रूप से प्रमाणित करने के लिए मोतीलाल नेहरू नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से इसकी टेस्टिंग कराई। जांच में तकनीक सही पाई गई। इसके साथ ही इसके पेटेंट रजिस्ट्रेशन के लिए भी अप्लाई कराया है।
जुगाड़ से बढ़ गया डेढ़ गुना ऐवरेज
यूपीसीएसटी के जॉइंट डायरेक्टर इनोवेशन राधेलाल ने बताया कि विवेक ने पेट्रोल की सप्लाई को नियंत्रित कर ऐवरेज बढ़ाने की कवायद की है। इस प्रॉजेक्ट पर बिट्स पिलानी के स्टूडेंस के साथ भी काम किया है। इस दौरान बाइक के माइलेज में डेढ़ गुना से दोगुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। राधेलाल ने बताया कि पेट्रोल की मात्रा नियंत्रित करने से इंजन गर्म नहीं होता। वहीं पेट्रोल की खपत कम हो जाती है। स्पीड और पिकअप में भी कोई परिवर्तन नहीं आया।