पानी के लिए तरसेगा पाक
अब पाकिस्तान पानी के लिए तरसेगा। जी हां उरी में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद से भारत का पाक के प्रति रवैया बदला रहा है। भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द करने का मन बना लिया है।
दरअसल जब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से यह पूछा गया कि क्या भारत अपने पड़ोसी देश पाक के साथ किए गए सिंधु जल समझौते को खारिज करने की संभावना पर विचार कर रहा है तो उनका जवाब था, ”आपसी विश्वास और सहयोग से कोई समझौता चलता है। वैसे इस समझौते में भी साख की ख़ास अहमियत है।” स्वरूप से जब अपने बयान को स्पष्ट करने के लिए कहा गया तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया। कहा कि कूटनीति में कई बातें पूरी तरह से साफ़-साफ़ नहीं कही जाती हैं। जहां तक सिंधु समझौते की बात है तो भारत का रूख बताता है कि उसने अपने सारे विकल्प खुले रखे हैं। बहरहाल, स्वरूप के इस बयान ने इस बात का अंदाज़ा साफ़ लगाया जा सकता है कि भारत ने पहली पाक के साथ किए गए 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते को रद्द करने का पूरा मन बना लिया है।
बता दें कि 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच यह जल संधि हुई थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाक के राष्ट्रपति अयूब ख़ान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत पाकिस्तान के पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को दिया गया था। वहीं दूसरी ओर पाक को पश्चिम की तीन नदियों सिंधु, चेनाब और झेलम के नियंत्रण की जिम्मेदारी दी गई थी। भारत सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, झेलम और सतलुच नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाक को देता है। अब यदि भारत यह समझौता तोड़ता है तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी क्योंकि पाक की कृषि भूमि इन्हीं नदियों के पानी पर निर्भर है।