BJP अध्यक्ष अमित शाह की हारने की लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव जीतने में कामयाब हो गए हैं, वहीं बागी-कांग्रेसी शंकर सिंह वाघेला खेमे की क्रॉस वोटिंग भी उन्हें जीतने में ही काम आई। राज्यसभा चुनाव में शायद ही कभी साम-दाम-दंड-भेद वाली राजनीति देखी गई होगी। देर रात शुरू हुई काउंटिंग में अहमद पटेल जीत के लिए जरूरी वोट हासिल करने में सफल हुए। वहीं अमित शाह व स्मृति इरानी भी विजयी घोषित हुए, लेकिन पटेल की जीत ने BJP की इन दोनों कामयाबियों की खुशी को कम कर दिया।
दो बागी विधायकों के वोट खारिज होने से सुनिश्चित हुई पटेल की जीत
शाह और स्मृति की जीत तो पहले से तय थी, असल मुक़ाबला तो अहमद पटेल और कांग्रेस के बागी बलवंत सिंह राजपूत के बीच था। बलवंत को BJP ने टिकट देकर पटेल के खिलाफ उतारा था। हालांकि, 2 कांग्रेस विधायकों राघवजी पटेल और भोला भाई गोहिल के वोट कैंसल होने से गेम उलट गया और बलवंत और BJP का खेल बिगड़ गया। कांग्रेसी विधायकों के वोट चुनाव आयोग ने कैंसल कर दिए। ऐसा करते ही राज्यसभा पहुंचने के लिए मैजिक नंबर 45 से घटकर 44 रह गया। पटेल को 44 वोट ही मिले और वे जीतने में कामयाब रहे। जानकार मानते हैं कि क्रॉस वोटिंग करने वाले ये 2 MLA भूल गए कि वोट करते वक्त भी वे कांग्रेस के सदस्य थे और वे पोलिंग बूथ पर खड़े होकर अपनी बदली हुई वफादारी का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं कर सकते थे। इस गलती की कीमत BJP और वाघेला गुट को अहमद पटेल की जीत के तौर पर चुकानी पड़ी। सूत्रों ने मुताबिक, इन 2 विधायकों ने वाघेला के कहने पर ही क्रॉस वोटिंग की थी।
NCP और JDU MLA ने भी पटेल को मजबूती दी
BJP और कांग्रेस, दोनों ने ही अपने MLAs को वोटिंग की प्रैक्टिस कराई थी। राजनीतिक जानकार चुटकी लेते हुए कहते हैं कि शायद वाघेला ने अपने MLAs को वोटिंग की ठीक से प्रैक्टिस नहीं कराई। चुनाव में कुल 176 MLAs ने वोट डाला। इनमें कांग्रेस के 51 MLAs भी शामिल थे। हालांकि, कांग्रेस के पास इससे पहले 57 का संख्याबल था, लेकिन 6 ने इस्तीफा दे दिया था। वहीं, वाघेला समेत 7 MLAs ने बलवंत राजपूत को वोट दिया। अहमद पटेल की जीत में एक अन्य बड़ी भूमिका सहयोगी दलों के वोटों ने निभाई। NCP के जयंत पटेल और JDU के छोटू वसावा ने उन्हें वोट दिया। हालांकि, पटेल को दूसरे NCP MLA ने झटका दिया। कांधल जाडेजा ने BJP को वोट दिया।
दूसरी वरीयता वाली वोटिंग में फंस जाता पेच
अगर अहमद पटेल को 44 वोट नहीं मिलते तो मतदान दूसरी वरीयता के वोटिंग वाले राउंड में चला जाता, अगर ऐसा होता तो उनकी जीत संभव ना थी। इलेक्टोरल कॉलेज में बेहतर संख्याबल की वजह से दूसरी वरीयता के राउंड में पलड़ा BJP का भारी था। कांग्रेस गुजरात राज्यसभा चुनाव जीत भले गई, लेकिन वोट पाने का उसका कैलकुलेशन पूरी तरह से सही साबित नहीं हुआ। कांग्रेस ने उम्मीद जताई थी कि पार्टी के 43 विधायक और NCP MLAs में से एक जयंत पटेल उन्हें वोट देंगे। कांग्रेस को BJP के बागी नितिनभाई कठोदिया और JDU के छोटू भाई वासवा से भी वोट मिलने की उम्मीद थी। ये दोनों ही कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे उतरे और पटेल 5वीं बार राज्यसभा में पहुंचने में कामयाब रहे।