सैनिकों पर घटिया राजनीति देश के लिए घातक
सर्जिकल स्ट्राइक क्या हुई, सेना ने अपना काम किया, हमारे देश के सारे राजनेता उसमें अपना उल्लू सीधा करते नज़र आ रहे हैं। निश्चय ही हमारी सेना ने काबिल-ए-तारीफ़ काम किया। सेना को साधुवाद किंतु हमारे राजनीतिक जांबाज़ क्या कर रहे हैं, उन्होंने कौन-सा तीर मार लिया, समझ के परे है। बरसों-बरस हमने आतंक झेला, पाकिस्तान, चाइना, अमेरिका की दोगली नीति का दंश झेला। हमारे अनेक सैनिकों की शहादत देखी किंतु फिर भी हमारे राजनीतिज्ञ जांबाज़ों का खून नहीं खौला। आज जब सैनिकों ने अपना काम किया तो उसका श्रेय लेने के लिए सैनिकों के नाम पर घटिया राजनीति का खेल शुरु हो गया।
आतंकवादियों का आक्रमण हुआ, पूरे देश का खून खौला। जब देश जागा तब हमारे राजनीतिक लोग भी जागे। पहले पहल तो सिर्फ कूटनीतिक जवाब ही तय हुए जैसा कि हमेशा से होता रहा है किंतु इस बार देश सिर्फ इतने पर तैयार नहीं था। वो समझ चुका था कि लातों के भूत सिर्फ बातों से नहीं मानने वाले हैं। बस देशवासियों की इसी अक्रामकता से सरकार और विपक्ष में बैठे लोगों का परिचय हुआ जो सर्जिकल स्ट्राइक में बदला क्योंकि इस बार देश की जनता और सेना दोनों तैयार थी जिसने सरकार और विपक्ष दोनों को तैयार किया इस निर्णय के लिए।
इस अंजाम की सफलता को भुनाने में लग गई संपूर्ण सरकार और इसका श्रेय दे डाला हमारे दबंग और बड़बोले प्रधानमंत्री को। किस प्रकार उन्होंने रातों की नींद खोई, पूरे टाइम लगे रहे, वगैरह-वगैरह। हमारे प्रधानमंत्री जी भी चल पड़े देश भर में कि अबकी दिवाली सैनिकों के नाम करें, सैनिक नहीं होते तो हम दिवाली नहीं देख पाते आदि। वहीं विपक्ष चल पड़ा सैनिकों की सैलेरी को लेकर आंदोलन करने, जिसमें एक ने तो आत्मदाह तक कर लिया। ये कहीं से कहीं तक एक गंभीर देश और गंभीर देश की सरकार के संकेत नहीं है। देश पर आतंकवादियों का आक्रमण हुआ, देश और सेना ने नुकसान उठाया। देशवासियों का और सेना का खून खौला, सैनिकों ने सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए उसका बदला लिया और सबक सिखाया। सभी ने अपना-अपना काम किया। बात यहीं आकर रुक जाना चाहिए थी क्योंकि सभी देशभक्त हैं। सैनिक भी देश में से ही निकल कर गए हैं।
अब इस बात की इतनी चिल्लपों क्यों? जिस प्रकार गुंडों को पकड़ने के लिए पुलिस होती है उसी प्रकार देश की सुरक्षा के लिए, आतंकवादियों से निपटने के लिए हमारे सैनिक होते हैं। ये इनका रोज का काम है जो ये बड़ी गंभीरता से बखूबी निभा रहे हैं। सरकार को भी चाहिए कि वे भी कुछ ऐसा और अच्छा काम करें जिसके लिए जनता ने उन्हें चुना है और विपक्ष को भी बजाए ऐसी गंभीर बातों में बचकानी हरकतों से बाज़ आ, हमारे सैनिकों को भड़काने वाला काम नहीं करना चाहिए। राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल जैसे कद्दार नेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं है बल्कि उन्हें तो कुछ सकारात्मक उपायों से सरकार को देश के लिए अच्छा करने हेतु तैयार करना चाहिए अन्यथा इन राजनीतिक लोगों के घटिया तरीकों से कहीं देश को बड़ा नुकसान न हो जाए जो संपूर्ण देश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।