बच्चों से बुजुर्गों तक सभी के काम की हैं ये वेबसाइट
1. राइट टू एजुकेशन
बच्चे देश का भविष्य होते हैं। उन्हीं पर देश की उन्नति निर्भर होती है पर ऐसे बहुत से परिवार होते हैं जो पैसे के अभाव में बच्चों को उनका मौलिक अधिकार, शिक्षा नहीं दिला पाते हैं। यह अधिकार दिलाने में अब देश की सरकार आगे आ रही है। इसके लिए सरकार ने कई कार्यक्रम और योजनाएं बनाई हैं। ऐसी ही एक योजना है ‘अनिवार्य शिक्षा’ जिसे क्रियांवित करने के लिए केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के रूप में बनाया था जिसे 4 अगस्त 2009 को लागू किया गया था। 1 अप्रैल 2010 को जब अधिनियम लागू हुआ तब से भारत 135 देशों में से एक देश बन गया जिसने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।
-> राइट टू एजुकेशन के मुख्य बिंदु
6 से 14 वर्ष तक की आयु के हर बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक अपने घर के पास स्थित स्कूल में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। इस कानून के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को न तो स्कूल फीस देनी होगी, न ही यूनिफार्म, बुक ट्रांसर्पोटेशन या मीड-डे मील जैसी चीजों पर ही खर्च करना होगा। बच्चों को ना ही अगली कक्षा में पहुचने से रोका जाएगा, न निकाला जाएगा, न ही उनके लिए बोर्ड परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा।
प्रवेश के समय कई स्कूल अतिरिक्त फीस की मांग करते हैं साथ ही बच्चों के साथ अभिभावक को भी इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। एडमिशन की इस प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए यदि कोई भी स्कूल बच्चों की स्क्रीनिंग और अभिभावकों की परीक्षा लेते हैं तो उन पर 25 हजार का जुर्माना है। साथ ही शिक्षक ट्यूशन नहीं ले सकते हैं।
इसके लिए स्कूलों में प्रवेश लॉटरी सिस्टम के तहत छात्राओं को मिलता है। प्रवेश के बाद संबंधित स्कूल में कक्षा 8 तक निःशुल्क अध्ययन की सुविधा रहेगी। इसमें 25 प्रतिशत कमजोर तथा वंचित वर्ग के बच्चे शामिल होंगे।
विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का अधिकार 18 वर्ष की आयु तक है।
आधिकरीक वेबसाइट :- http://righttoeducation.in/
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