तस्वीर का दूसरा पहलू :
मेरे रिसर्च के मत अनुसार सरकार चाहती तो है कि इन नेपकिन का उपयोग हो लेकिन अगला कोई विकल्प आने तक ही। कोई नया विकल्प जो सम्पूर्ण नारी जाति के साथ ही सम्पूर्ण समाज के स्वस्थ को बिना कोई आघात पहुंचाए इस मानविक जरुरत का साधन बने। इसलिए सेहत से जुड़े इस गंभीर सवाल पर राज्यों की सरकारों को आगे किया है, जिसे केंद्र के साथ ही यूनिसेफ का भी सहयोग मिल रहा है। वैसे तो प्रायः सभी राज्यों में इस तरह के प्रयास तथा उसके साथ ही उसके निपटान की व्यवस्था जारी है, फिर भी इस पंक्ति के कुछ ऊपरी राज्यों के बारे में यहाँ थोड़ी जानकारी देना जरुरी है:-
केरल सरकार की “शी-पैड” स्कीम, जिसमें नैपकिन वेंडर के साथ डेस्ट्रॉयर मशीन भी जरुरी
केरल में हाल ही में सरकार की ओर से हर स्कूल में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके जरिए सेनेटरी पैड दिए जाएंगे. इसके बाद केरल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां सभी हायर सेकेंडरी स्कूलों में यह कदम उठाया गया है. मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता प्रत्येक महिला का अधिकार है, जिसके लिए सरकार “शी पैड” (she pad) स्कीम के तहत साफ सुथरे सैनिटरी पैड स्कूल की लड़कियों को देगी. साथ ही नैपकिन डेस्ट्रॉयर (जिससे इस्तेमाल किए गए नैपकिन को नष्ट किया जा सकता हो) भी दे रही है. 5 सालों तक इस स्कीम को चलाए जाने की कीमत 30 करोड़ रु. होगी.
राजस्थान में भी मशीन द्वारा बिक्री
राजस्थान उन राज्यों में शामिल है, जहां महिलाएं झिझक और जानकारी के अभाव में सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग नहीं करती। अब महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की सुविधा देते हुए राज्य सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। राज्य सरकार द्वारा अजमेर में इस सेवा की शुरुआत की थी तथा 70 और जगहों पर सरकार ऐसी मशीनें लगाई. इसमें कोई भी महिला 10 रु. डालकर नैपकिन ले सकती है। लड़कियों में सैनिटेशन और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और उनकी झिझक मिटाने के लिए यह कोशिश की। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड समेत लड़कियों और महिलाओं की पहुंच वाले क्षेत्रों में और नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई जाने का प्रस्ताव है.
यूपी में भी है योजना
यूपी के सभी 75 जिलों के बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर यूनिसेफ की तरफ से सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई जा रही है। इसके लिए यूनिसेफ ने यूपी सड़क परिवहन निगम और रेलवे के साथ एक समझौता किया है. यूनिसेफ के इस मुहिम का उद्देश्य महिलाओं को आसानी से सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराने के अलावा पीरियड्स को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों व कुंठाओं को दूर करना भी है। एक अनुमान के मुताबिक यूपी राज्य में नैपकिन का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है. कार्यक्रम को अधिक गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने पंचायतों को भी इस योजना में शामिल किया है।
मध्य प्रदेश गर्ल स्टूडेंट्स को मुफ्त नैपकिन
मध्य प्रदेश सरकार ने महिला स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सैनिटरी नैपकिन मुफ्त में वितरित करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार इसे एक अभियान का रूप देना चाहती है ताकि सभी महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन पहुंचाया जा सके. पहले चरण के तहत स्कूल, कॉलेज और हॉस्टल में लगी वेंडिंग मशीनों से मुफ्त नैपकिन मिलेंगे। दूसरे चरण में आंगनवाड़ियों के जरिए सभी को सैनिटरी नैपकिन का मुफ्त में दिया जाएगा। राज्य के आंगनवाड़ी केंद्रों में महिलाओं के लिए समग्र स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जाएगा। महिलाओं के स्व सहायता समूहों और सखी-सहेली समूहों को सैनिटरी नैपकिन की उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। सभी महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन पहुंचाने के अभियान में अगर मध्य प्रदेश में आंशिक रूप से भी सफल रहता है, तो छत्तीसगढ़, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी इस तरह के कार्यक्रमों को गति मिलेगी।
महाराष्ट्र में सेवक और सरकार का सामंजस्य
महाराष्ट्र में राष्ट्र-सेवक के नाम से प्रसिद्ध तथा देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी सहित कई प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्तर की हस्तियों के मार्गदर्शक डॉ. भय्यू जी महाराज की संस्था “सूर्योदय” भी गांवों तक इस तरह की सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीनों की स्थापना तथा उनके रखरखाव पर काम कर रही है। उनके अनुसार भी इस तरह के स्वास्थ्य सामग्री के उपयोग के साथ ही उसके डिस्पोज़ के समुचित ज्ञान और व्यवस्था के बिना यह पहल अधूरी ही होगी।