इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि आज टेक्नोलॉजी की दुनिया में बच्चे खेलों से दूर होते जा रहे हैं। इसी के चलते उनका शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है। इस बात से हमारे पीएम मोदी भी सहमत है, इसलिए वे चाहते हैं कि देश में जल्द ही खेलों को बढ़ावा देने के मकसद से खेले भारत अभियान शुरू किया जाए। उनका कहना है कि आज 21वीं सदी में बच्चों का बचपन लैपटॉप और विडियोगेम में कहीं गुम हो गया है। ऐसे में शारीरिक कौशल और व्यक्तित्व विकास के लिए बच्चों का खेल के मैदान में पहुंचना बहुत जरूरी है। इसलिए अब खेल महाकुंभ की तर्ज पर ‘खेले इंडिया’ योजना की शुरुआत करेंगे
उन्होंने ये बात गुजरात सरकार द्वारा आयोजित खेल महाकुंभ 2017 की शुरूआत के मौके पर कही।
हार को एक खिलाड़ी ही झेल सकता है-
उन्होंने कहा कि पहले गुजरात और खेलों का दूर-दूर तक नाता नहीं था, लेकिन अब परिभाषा बदल चुकी है। यह राज्य भी खेलोंं में आगे आ रहा है। उन्होंने कहा कि खेल ही जीवन को जीना सिखाता है। जीत को पचाना तो हर कोई जानता है, लेकिन हार को झेलने का सामथ्र्य केवल एक खिलाड़ी में ही होता है। खिलाडिय़ों के प्रति सम्मान केवल परिवार और राज्य की ही नहीं बल्कि देश की परंपरा होनी चाहिए। उन्होंने इस मौके पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में गुजरात का नाम रोशन करने वाले गुजरात के खिलाडिय़ों को शक्ति दूत योजना के तहत नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि खेलकूद का सामर्थ्य जीवन जीने की प्रेरणा देता है और इसलिए ही समग्र भारत में खेले इंडिया अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इससे देश के युवाओं को खेलकूद में प्रोत्साहन मिलेगा और आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश के युवाओं के खेलकूद का सामर्थ्य उभरकर सामने आएगा। उन्होंने कहा कि भारत में खेलकूद क्षेत्र में तमाम सुविधाएं तेजी से उपलब्ध करवाई जा रही हैं और ट्रांसस्टेडिया इसका उत्तम उदाहरण है। इसमें एक ही स्थान पर 300 तरह के खेलों के आयोजन की सुविधा है।