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जीवन में प्रेम के बिना सबकुछ मशीनी, नीरस और बेकार सा लगता है। प्रेम है तो सबकुछ अच्छा। यह सबकुछ हम सभी को पता है फिर भी जीवन से प्रेम लापता है। शादीशुदा वर्ग और प्रौढ़ वर्ग तो जैसे इस अहसास को महसूस ही नहीं करना चाहता तो ऐसे में ले-देकर प्रेम-प्यार और इजहार की जिम्मेदारी एक तरह से युवा वर्ग के ऊपर ही आ गई है।
प्यार का नितांत व्यक्तिगत अहसास ‘हम रिलेशनशिप में हैं’, जैसे वाक्य में बदल गया है। रिलेशनशिप के वास्तविक मायने लोग भूलते जा रहे हैं। रिलेशनशिप में व्यक्तिगत फायदा-नुकसान, अपना काम निकलवाने की प्रवृत्ति और स्टेट्स सिंबल जुड़ गया हैं। जिससे जितने समय काम है उतना समय रिलेशनशिप में रहो उसके बाद टा-टा, बाय-बाय करते देर नहीं लगती। ब्रेकअप के नाम पर सब खत्म। क्या यही रिलेशनशिप की परिभाषा है? वास्तव में हमनें इसका रूप ही बिगाड़ दिया है। पुराने समय में देखें तो बिना एक दूसरे की शक्ल देखे शादियाँ हो जाती थी और विवाहित जोड़े उस संबंध को तमाम उम्र निभाने की कोशिश करते थे, किन्तु आज रिलेशनशिप के नाम पर आपको अपने साथी को खोजने, समझने और परखने का मौका मिल रहा है। कौन सा साथी आपके स्वभाव के अनुकूल है जिसके साथ आप जीवन बिता सकते हैं, रिलेशनशिप में रहते हुए आप ये जांच परख सकते हैं ये मौका आपको मिल रहा है तो इस शब्द के वास्तविक मायने साकार करने की बजाय युवावर्ग ने रिलेशनशिप को मौज-मस्ती का जरिया बना लिया है इसका रूप बिगाड़ दिया है।
भारतीय संस्कृति की बात करें तो बसंत के मौसम को प्यार के इजहार से जोड़ा जाता है। आजकल वह चलन से बाहर हो गया है। ‘वैलेंटाइन डे’, पाश्चात्य संस्कृति से उपजा प्रेम के इजहार का पर्व जो धीरे-धीरे पूरे विश्व में मनाया जाने लगा और जिसकी पकड़ से हम भी अछूते नहीं हैं, वास्तव में युवा वर्ग के लिए सिर्फ एक टाइम बीइंग इवेंट है। भेड़ चाल की तरह सब मना रहे हैं इसलिए हम भी मनाएंगे। मर्म तो पता ही नहीं है क्यों, किसके साथ, किसके लिए और कैसे मनाया जाए। उनके लिए तो गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड होना एक फैशन और स्टेटस सिंबल हो गया है। जिस भी लड़का या लड़की का बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है, युवावर्ग में वह मजाक उड़ाने का विषय हैं।
तो दोस्तो, ‘हम रिलेशनशिप में हैं‘, एक बहुत ही खूबसूरत अहसास है इसे दिल से महसूस करिए। सेल्फिशनेस का जामा पहनाकर इसे मौज-मस्ती, हंसी-मजाक, मखौल का जरिया मत बनाइये जहां आपके प्रपोजल को स्वीकारा जाता है तो ठीक है अन्यथा कत्ल तक हो जाते हैं, इसे उस स्थिति में मत लाइए। अपने साथी के हाथ को विश्वास से थाम लें और उसे भी विश्वास दिलाएं कि प्रेम करना, इजहार करना और फिर रिलेशनशिप में रहना कोई बुरी बात नहीं है बस उसका लक्ष्य व नजरिया अच्छा हो। यह बात सिर्फ युवावर्ग पर ही लागू नहीं होती वरन् हर वो युगल जो दिल से इसकी जरूरत को महसूस करता है उसे जीवन के कुछ पल, कुछ समय निकालकर इसे महसूस करना चाहिए फिर आप देखेंगे कि जिंदगी पैसा, पावर, ग्लैमर, स्टेटस, सुख-सुविधा, साधन इन सबसे ऊपर एक बहुत ही खूबसूरत अलग ही नजारा हैं जहां ये सबकुछ नहीं है किंतु फिर भी बहुत कुछ है और यदि आप दिल, दिमाग और आत्मा से उसमें डूब जाते हैं तो सबकुछ है।