अब विदेशी डिग्री के नाम पर स्टूडेंट्स के साथ नहीं होगा फर्जीवाड़ा
देश में शिक्षा के क्षेत्र में भी फर्जीवाड़ा होता है। जी हां कई बार विदेशी डिग्री दिलाने के नाम पर संस्थान स्टूडेंट्स के साथ फर्जीवाड़ा करते है। इन वजहों से कई स्टूडेंट्स के भविष्य खराब कर देते है। लेकिन अब पढ़ाई करके अब विदेशों के नामी शिक्षा संस्थानों से डिग्री लेना और भी आसान होगा। आपको बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के नये कदम से यह सब संभव हुआ है। यूजीसी ने नये नियम तय किये हैं, उन्हें सरकार ने भी मंजूर कर लिया है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यूजीसी चेयरमैन की मौजूदगी में यूजीसी के नये रेगुलेशन की जानकारी दी।
कई संस्थानों से करार
आपको बता दे कि यूजीसी के नये नियमों और मानदंडों के मुताबिक अब तक विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ा रहे दुनिया के मशहूर 600 शिक्षा शास्त्रियों में से के साथ कई संस्थानों ने करार भी कर लिया है। ये हस्तियां भारतीय शिक्षा संस्थानों में आकर छात्रों को पढ़ाएंगी। इनमें कैंब्रिंज, येल, जॉर्जिया, कैलिफोर्नियां, बार्कले, पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के अलावा हार्वर्ड तक के स्कॉलर शामिल हैं। ये सभी अलग-अलग विषयों पर अपनी सेवा अलग अलग संस्थानों में देंगे।
नए नियम जो इस प्रकार है-
- इसके तहत भारतीय शिक्षा संस्थान विदेशी संस्थानों के साथ एमओयू साइन कर सुविधाओं का आदान प्रदान तय कर सकेंगे। हां, इस नये रेगुलेशन के तहत होने वाले एमओयू का मतलब ये कतई नहीं लगाया जाय कि विदेशी शिक्षा संस्थानों को भारत में अपनी फ्रेंचाइजी या शाखा खोलने की अनुमति मिल गई है।
- अंडर ग्रेजुएट के प्रोग्राम में छात्र को दो सेमेस्घ्टर की पढ़ाई विदेशों में स्थित संस्थान में जाकर करनी होगी। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए ये शर्त एक सेमेस्टर की है। अब विदेशों में पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों के लिए आवेदन की प्रक्रिया 30 दिनों में पूरी हो जाएगी और दाखिला 60 दिनों में। यानी दो महीने की अवधि में कोई भी योग्य छात्र अपनी पसंद के विदेशी शिक्षा संस्थान में दाखिला पा सकता है।
- यूजीसी के चेयरमैन के मुताबिक संस्थान कंपनी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराकर भारतीय संस्थान विदेशी संस्थानों, यूनिवर्सिटीज के साथ एमओयू साइन कर सकते हैं।
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