अब तमिलनाडु के हर शैक्षणिक संस्थान में सप्ताह में एक दिन राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रगीत वंदे मातरम् गाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। अब तक हर रोज स्कूलों में केवल राष्ट्रगान ही गाया जाता था, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के बाद हर स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी के साथ सभी शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रगीत गाना जरूरी कर दिया है।
दरअसल , हुआ ये कि वीरामणि नाम के एक छात्र ने राज्य सरकार की नौकरी के लिए परीक्षादी थी, जिसमें वो एक अंक से क्वालिफाई होने से रह गया। जब इसका कारण पता किया तो सामने आया कि उनसे एक प्रशन पूछा गया था कि वंदे मातरम किस भाषा में लिखा गया है। जिसका जवाब उन्होंने बंगाली भाषा दिया था। जबकि बोर्ड ने उसका सही उत्तर संस्कृत बताया। इसी को लेकर वीरामणी ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वंदे मातरम की भाषा पर स्थिति साफ करने का आग्रह किया।
13 जून को राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट में बताया कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम मूल तौर पर संस्कृत भाषा में था लेकिन उसे बंगाली भाषा में लिखा गया था। इसी के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को सभी स्कूल, कॉलेज और शैक्षनिक संस्थानों के लिए अनिवार्य करने का फैसला सुना दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सभी तरह के शैक्षणिक संस्थान में हफ्ते में कम से कम एक बार और हर सरकारी दफ्तर, निजी कंपनी, फैक्ट्री में महीने में एक बार राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने साथ ही ये भी साफ कर दिया है कि जो भी व्यक्ति किसी शैक्षणिक संस्थान, दफ्तर या फैक्ट्री में राष्ट्रगीत नहीं गाएगा उसे उसका सही कारण भी बताना होगा।
कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की तरफ से वंदे मातरम के तमिल अनुवादित वर्जन को हर दफ्तर, कंपनी और शैक्षणिक संस्थान में उपलब्ध करवा दिया गया है। इस सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया गया है। 7 नवंबर 1875 को बंगाली कवि बंकिम चंद्र चटर्जी ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम की रचना की थी। इससे पहले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सभी सिनेमा घरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान जन गन मन को गाना अनिवार्य कर दिया था।