5 दिन तक इसलिए मनाते हैं दिवाली, पढ़िए 5 दिलचस्प कहानियां
तीसरा दिन – लक्ष्मी पूजा
दिवाली के तीसरे दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी के तीन रूपों की पूजा की जाती है। वैसे भी किसी शुभ कार्य का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है। कहा जाता है जब तक भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा न की जाए दिवाली की पूजा अधूरी रहती है। इस दिन सभी अंधकार पर विजय मिलने की खुशी में भगवान से अपनी सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन लोग अपने व्यापार के फलने और फूलने के लिए भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं।
क्या करें – दिवाली के दिन की विशेषता मां लक्ष्मी के पूजन से संबंधित है इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी की पूजा करके उनका स्वागत किया जाता है। दिवाली के दिन जहां गृहस्थ और कारोबारी धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और धन की कामना करते हैं। वहीं साधु और संत कुछ विशेष सिद्धियां प्राप्त करने के लिए रात में अपने तांत्रिक पूजा पाठ करते हैं।
चौथा दिन – पड़वा व गोवर्धन पूजा
दीपावली के दौरान चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। हिंदू धर्म में गाय को पूज्यनीय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गाय गंगा नदी के समान पवित्र होती है यहां तक कि गाय को मां लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा था जिसके नीचे सभी ग्वाल और गोपियों ने आश्रय लिया था। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी।
क्या करें – इस दिन बृजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। भारत में लोग अपनी गायों और बैलों को स्नान कराकर उन्हें रंग लगाते हैं और उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल भी खिलाया जाता है। इस दिन एक मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से जीवन में सफलता, सम्मान और सुख की प्राप्ति होती है।
पांचवा दिन – भाई दूज
दिवाली का आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भाई और बहनों के लिए समर्पित होता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू पर्व है। इस दिन बहन रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके अच्छे भविष्य की कामना करती है। कहा जाता है इस दिन जब यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा की इससे खुश होकर यमराज ने अपनी बहन को ढेर सारा आशीष दिया। इसके अलावा कायस्थ समाज में भाईदूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। कायस्थ समाज में लोग अपने बहीखातों की पूजा भी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन अगर कोई भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे।
क्या करें- इस दिन हर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर भाई की सुख समृद्धि की मंगल कामना करती है और उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती है और भाई अपनी बहन को भेंट स्वरूप कुछ उपहार या दक्षिणा देता है।