अपने ही घर में किराएदार बनकर रहे थे माधवराव, जानिए सिंधिया परिवार के राज
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सिंधिया राजघराने के माधवराव सिंधिया के जीवन से कई चर्चित किस्से जुड़े हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा है, 400 कमरों वाले खुद के महल में किराएदार बनकर रहने का।
बात उस वक्त की है जब राजमाता विजयाराजे सिंधिया के संबंध अपने इकलौते बेटे और कांग्रेस नेता रहे माधवराव से काफी खराब थे। राजमाता माधवराव से बेहद खफा थीं। उनकी नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि उन्होंने अपनी वसीयत में यह तक लिख दिया था कि मेरा बेटा मेरा अंतिम संस्कार नहीं करेगा। उन्होंने 1985 में अपने हाथ से लिखी वसीयत में लिखा था कि माधवराव सिंधिया मेरे अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हों। हालांकि 2001 में जब राजमाता का निधन हुआ, तो मुखाग्नि माधवराव सिंधिया ने ही दी थी।
बेटियों को दे दी सारी जायदाद
विजयाराजे की वसीयत के हिसाब से उन्होंने अपनी बेटियों को काफी जेवरात और अन्य बेशकीमती वस्तुएं दी थीं। वे अपने बेटे से इतनी खफा थी कि उन्होंने अपने राजनीतिक सलाहकार और बेहद विश्वस्त संभाजीराव आंग्रे को विजयाराजे सिंधिया ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया। मां से नाराजगी की वजह से माधवराव को पारिवारिक संपत्ति में बेहद कम दौलत मिली। हालांकि अभी विजयाराजे सिंधिया की वसीयतों पर अदालत में मामला चल रहा है। ये दो वसीयत 1985 और 1999 में आई थीं।
बेटे पर लगाया था अरेस्ट कराने का आरोप
विजयाराजे पहले कांग्रेस में थीं, लेकिन इंदिरा गांधी ने जब राजघरानों को खत्म कर दिया और उनकी संपत्तियों को सरकारी घोषित कर दिया तो उनकी इंदिरा गांधी से ठन गई थी। इसके बाद वे जनसंघ में शामिल हो गईं। उनके बेटे माधवराव सिंधिया भी उस वक्त जनसंघ में शामिल हो गए थे लेकिन वे कुछ समय ही रहे। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। इससे विजयाराजे अपने बेटे से नाराज हो गई थीं। उस वक्त विजयाराजे ने कहा था कि इमरजेंसी के दौरान उनके बेटे के सामने पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीटा था। उन्होंने अपने बेटे पर अरेस्ट करवाने का आरोप भी लगाया था।
जब अपने ही महल में बन गए किराएदार
मां बेटे में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ने लगी थी और पारिवारिक रिश्ते खत्म होने लग गए थे। इसी के चलते विजयाराजे ने ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए लिए अपने ही बेटे माधवराव से किराया भी मांगा था। हालांकि एक रुपए प्रति माह का यह किराया प्रतीकात्मक रूप से लगाया गया था।
400 कमरों का है जय विलास पैलेस
जयविलास पैलेस 1874 में बनाया गया था। 400 कमरे वाला यह महल पूरी तरह व्हाइट है और यह 12 लाख वर्ग फीट में बना है। उस समय इसकी कीमत 1 करोड़ रुपए थी। इस पैलेस में 400 कमरे हैं, जिनमें से 40 कमरों में अब म्यूजियम है। इस पैलेस का महत्वपूर्ण हिस्सा है दरबार हॉल। जयविलास पैलेस में रॉयल दरबार की छत से 140 सालों से 3500 किलो का झूमर टंगा है। दुनिया के सबसे बड़ झूमरों में शामिल इस झूमर को बेल्जियम के कारीगरों ने बनाया था। इन झूमरों को छत पर टांगने से पहले इंजीनियरों ने छत पर 10 हाथी चढ़ाकर देखे थे कि छत वजन सह पाती है या नहीं। यह हाथी 7 दिनों तक छत की परख करते रहे थे, इसके बाद यह झूमर लगाया गया था।
प्रिंस एडवर्ड के स्वागत में बनवाया जयविलास
सिंधिया राजवंश के शासक जयाजीराव 8 साल की उम्र में ग्वालियर के महाराज बने थे। बड़े होने पर जब इंग्लैंड के शासक एडवर्ड का भारत आना हुआ तो जयाजी महाराज ने उन्हें ग्वालियर आमंत्रित किया। उनके स्वागत के लिए ही उन्होंने जयविलास पैलेस के निर्माण की योजना बनाई। उन्होंने एक फ्रांसीसी आर्किटेक्ट मिशेल फिलोस को नियुक्त किया और उसने 1874 में विशालकाय जयविलास पैलेस का निर्माण किया।
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