दुर्गा मंत्र से पा सकते हैं अपने मन पर विजय
भारतीय पंचाग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (एकम) से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र में आराधना का दौर होता है माँ की आराधना के इन नौ दिनों को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्री राम ने अपनी खोई हुई शक्ति पाई इसलिए इस समय आदिशक्ति भी आराधना पर विशेष बल दिया गया है नवरात्रि की नौ दिन हमारी आसुरी प्रवृतियों को नष्ट करके हम सदगुणों की सम्पदा देती है ताकि हम स्वयं को जान सके मन पर विजय प्राप्त कर सकेंँ यों तो शास्त्रों के आधार पर मां की पूजा की बहुत सारी विधियाँ है मां का महामंत्र – ’’ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’’ यह नर्वाण मंत्र कहलाता है यह महामंत्र तीन बीज मंत्रों से मिलकर बना है हर बीज मंत्र का अर्थ निम्नानुसार है –
’’ ऐं ’’ – माँ सरस्वती का एका अक्षर बीजमंत्र है जिसका अर्थ है – ’’ज्ञान’’ मन पर विजय की प्राप्ति केवल ज्ञान और समझ के जरिए ही संभव है।
’’ ह्रीं ’’ – माँ दुर्गा का एका अक्षर बीज मंत्र है जिसका अर्थ है – ’’आत्मबल’’ बिना आत्मबल के किसी भी कार्य को करना संभव नहीं है।
’’ क्लीं ’’ – माँ काली का एका अक्षर बीज मंत्र है जिसका अर्थ है – ’’काम’’ बिना कार्य के यानि नौकरी या व्यापार के बिना हम घर का संचालन नहीं कर सकते है।
’’चामण्डायै’’- देवी का नाम है।
’’विच्चै’’ – अर्थ है नमस्कार
इस पूर्ण मंत्र का अर्थ हुआ हम माँ से यह प्रार्थना करते है माँ यदि आप हमें ’ऐं’ तत्व ’ह्रीं’ तत्व ’क्लीं’ तत्व की प्राप्ति करवाते है तो में आपको नमस्कार करता है। अर्थात ज्ञान, आत्मबल, काम के बिना कुछ भी संभव नहीं है।
’’ कैसे करें नवरात्रि में माँ की पूजा’’
सबसे सरल विधि जो हर आम आदमी कर सकता है नीचे दी गई है-
सर्वप्रथम माँ की मूर्ति या मान चित्र का आप लाल आसन पर विराजमान करना चाहते है उस स्थान पर गंगा जल छिड़कर लाल कंकु से स्वस्तिक बनाए फिर लाल आसन बिछायें उसके ऊपर माँ की प्रतिमा नर्वाण मंत्र एक बोलकर स्थापना कीजिए फिर तिलक संस्कार करें। तिलक संस्कार के बाद उन्हें एक चुन्नी जिसमें लाल कलर शामिल हो चढ़ाए उसके बाद दीपक गाय के घी क प्रज्वलित करें फिर नौ गुलाब के पुष्प गुलाब इत्र लगाकर चढ़ाये फिर नौ बार नर्वाण मंत्र का मन में उच्चारण करके नमन करें। यह विधि नौ दिन आप कर सकते है। माँ को प्रसाद के भोग में नारियल श्रीफल उत्तम है।
ज्योतिष मतानुसार किन व्यक्ति के लिए अनिवार्य है दुर्गा पूजा –
1 जब आपकी जन्म कुंडली में बुध अस्त होता है क्यों की बुध अस्त होता है तो व्यक्ति उम्र के ५० वर्ष तक आर्थिक संकटों से जूझता रहता है।
2 जब आपकी जन्म कुण्डली में गुरू तीसरे स्थान में बैठा हो यहाँ बैठा गुरू जिसे तारने पर आये उसे खूब लाभ दें जिसका बिगाड़े उसका सब कुछ नष्ट कर दें।
बीमारी से पीछा छुड़ाने के लिए –
कददु पक्का हुआ पीले रंग का माँ को पूरा कददु चढ़ाएं मंदिर में नौ दिन लगातार यह विधि हर साल दोनों नवरात्रि में करें। तो लाभ होगा बीमारी में फर्क पडे़गा यह प्रक्रिया कम से कम 3 साल से 5 साल तक करें।
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