“जय हिंद” , बताते हैँ कि इस शबद को सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद बोस के सचिव और हैदराबाद के रहने वाले शेंपाकारमान पिल्लई ने ईजाद किया था। वहीं कुछ रिसर्चर्स की मानें तो स्वतंत्रता से पहले आर्मी के मेजर आबिद हसन साफरानी ने सबसे पहले इसका यूज किया। भले ही इस शबद को लेकर अलग-अलग बातें हों लेकिन ये शबद हमारी सेनाओं और लाखों सैनिकों को आपस में जोड़े रखता है। कोई भी भारतीय सैनिक चाहे किसी भी रैंक का हो, किसी भी धर्म का हो या फिर किसी भी हिस्से का हो, सिर्फ ये एक शबद उनके बीच की दूरियों को मिटा देता है। जानें कया है सैनिकों के लिए इसके मायने।
सैनिकों के मुताबिक सैनिकों के मन में इस शबद के प्रति जो अहमियत है, उसे शबदों में बयां कर पाना बहुत मुश्किल है। काफी भावनाएं इस एक शबद से जुड़ी हुई हैं। जय हिंद का मतलब आपके लिए सिर्फ एक ही धर्म है और वो है आपका देश और इसकी सेवा करना। इसकी रक्षा में आपसे जो भी हो सके उसके लिए तैयार रहना। जय हिंद का जय एक सैनिक को इसी बात की याद दिलाता है।
हर सैनिक एक समान-
आज के कॉर्पोरेट वल्र्ड में जूनियर सीनियर का फॉमूर्ला है। ये फॉर्मूला सेना में भी है। कोई एक अफसर हो, कोई जवान कोई भी नमस्कार, गुड मॉर्निंग का प्रयोग कभी नहीं करता। एक जय हिंद ही सेना में एक दूसरे को ग्रीट करने के लिए जरूरी है।
जरूरी है जय हिंद का जवाब-
जब भी कोई सैनिक दूसरे सैनिक को जय हिंद कहकर सैल्यूट करता है तो जवाब भी जरूर होता है। यदि आपने इसका जवाब नहीं दिया तो इसका मतलब ये है कि आप एक सैनिक के लिए असममान प्रकट कर रहे हो। इसलिए जब भी आप एक सैनिक से मिलें तो एक बार जय हिंद कहकर उसे सैल्यूट जरूर करें।