यह रोबोटिक यंत्र रोकेगा मौतें, करेगा जमीन के अंदर यह काम
राजस्थान में झुंझुनूं जिले के चिड़ावा में श्रीधर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने ऐसा रोबोटिक यंत्र तैयार किया है जो जमीन के अंदर की गैस की प्रकृति और उसकी मात्रा की जानकारी देने में सक्षम है। यूनिवर्सिटी के छात्रों वंश प्रकाश सिंह, दिल्ली और कौशल कुमार सिंह, पलामू झारखंड द्वारा बनाये गए यंत्र से कुओं की खुदाई और खान के अंदर काम करते वक्त जहरीली गैसों के रिसाव से होने वाले मौतों पर अब अंकुश लगेगा।
ऐसे करता हैं काम
डिप्लोमा माईनिंग में फाईनल ईयर के इन दोनों छात्रों द्वारा बनाया गया यह रोबोटिक यंत्र एंड्रायड फोन से संचालित सेंसर युक्त हैं, यह ड्रोन के जरिये गैस की मौजूदगी का आकलन कर संदेश भेजेगा। इससे गैस के कारण होने वाली जनहानि रोकी जा सकेगी। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी में लगाई गई मॉडल प्रदर्शनी में लाइटर में भरी मिथेन का रिसाव कर इस यंत्र का प्रदर्शन किया। गैस का रिसाव होते ही यंत्र से लिंक किए गए एंड्रायड स्मार्ट मोबाइल फोन का डाटा शून्य से बढ़कर 700 से ऊपर जा पहुंचा।
गैस के रिसाव/विस्फोट पर जान जाने की संभावना
छात्र कौशल कुमार सिंह ने बताया कि वह पिछले दिनों कोल माईनिंग ट्रेनिंग के लिए विश्रामपुर (छग) गया था, जहां कोयला खदानों में गैस की मौजूदगी का पता पुरातन सेफ्टी लैंप (लालटेन पद्धति) व मल्टी गैस डिटेक्टर मिथेनोमीटर से ही किया जा रहा था। वहाँ उपरोक्त तीनों उपकरणों को हाथ में पकडक़र एक व्यक्ति को खदान में उतरना पड़ता हैं। ऐसे में गैस के रिसाव-विस्फोट पर जान जाने की पूरी संभावना बनी रहती हैं। यूनिवर्सिटी वापस लौटने पर कौशल ने अपने साथी छात्र वंश प्रकाश सिंह से ट्रेनिंग के अपने अनुभव साझा किए। डिप्लोमा माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्र वंश प्रकाश सिंह और कौशल कुमार सिंह को यंत्र बनाने में करीब 6 से 8 हजार रुपए का खर्चा आया।
गैस के कारण होने वाली मौते नहीं हो पाएगी
यह यंत्र किसी भी प्रकार के एंड्रायड स्मार्ट फोन अथवा लैपटॉप से संचालित किया जा सकता है। जिसमें लगा सेंसर ब्लूटूथ के जरिये गैस की प्रकृति, मात्रा और दूरी की वास्तविक जानकारी कंट्रोल रूम को देगा। जिससे गैस के कारण होने वाली मौते नहीं हो पाएगी। यंत्र को लगातार अपग्रेड करने में जुटे इन दोनों छात्रों की मानें तो उनका यंत्र गैसीय एरिया में जमीन धंसने, सीवरेज सफाई के दौरान बॉयो गैस और रसोई मिथेन गैस लीक होने की स्थिति में बचाव के प्रयासों में भी मददगार बनेगा।
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