तीन तलाक को लेकर देश में पिछले दिनों या पिछले महीनों बड़ा बवाल हुआ था। वैसे तो ये लड़ाई सालों से चली आ रही है लेकिन कुछ ही दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि, छः महीनों के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी थी लेकिन एक बार फिर तीन तलाक का एक केस सामने आया है जो काफी अजीब हैं।
मामला इस बार स्पीड पोस्ट से तलाक देने का हैं। जेसलमेर के पोकरण के मागोलाई गांव में एक शख्स ने अपनी पत्नी को स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक दे दिया। उसने उर्दू भाषा में लिखकर तीन तलाक भेजा हैं। उर्दू भाषा में तीन तलाक लिखा यह खत 1 सितंबर को मिला। पीड़िता ने सरकार व प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई कि पति के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई कर न्याय दिलाएं, ताकि कोई और तीन तलाक देने जैसा कदम नहीं उठा सके।
पीड़ित के पिता ने बताया कि, मेरी बेटी का ढाई साल पहले यूपी के काली मगरी निवासी के साथ निकाह हुआ था। कुछ दिन तो ससुराल में सबकुछ ठीक चलता रहा लेकिन थोड़े दिन बाद ही वह मेरी बेटी को कहने लगा कि तुम शक्ल-सूरत में ठीक नहीं हो, इसलिए मुझे पसंद नहीं हो। धीरे-धीरे दामाद मेरी बेटी के साथ मारपीट करने लगा। मैंने इसे सामाजिक स्तर पर सुलझाने की कोशिश की लेकिन मेरा दामाद नहीं सुधरा। वह मेरी बेटी के साथ हर दिन मारपीट करता था। इसके बाद 1 सितंबर को खत आया, जिसमें उर्दू भाषा में तीन तलाक लिखा था। इसके बाद से ही मेरी बेटी की हालत खऱाब हैं। मैंने प्रशासन और सरकार से बेटी को न्याय दिलाने की मांग भी की हैं।
गौरतलब हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह तीन तलाक पर कानून बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि केंद्र जो कानून बनाएगा उसमें मुस्लिम संगठनों और शरिया कानून संबंधी चिंताओं का खयाल रखा जाएगा। केंद्र ने राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को दरकिनार रखने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र की मदद करने को कहा हैं। कोर्ट ने कहा है कि अगर छह महीने में कानून नहीं बनाया जाता हैं तो तीन तलाक पर शीर्ष अदालत का आदेश जारी रहेगा। कोर्ट ने कहा कि इस्लामिक देशों में तीन तलाक खत्म किए जाने का हवाला दिया और पूछा कि स्वतंत्र भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता।