1 जनवरी को शुरू हुई थी मनीऑर्डर सेवा, 135 साल पुराना है इतिहास
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भीम, पेटीएम, मोबीक्विक और न जाने कितने एप जिनसे आप किसी को भी ऑनलाइन पैसे दे सकते हो। नोटबंदी के बाद से भारत इतनी तेजी से डिजिटल पैमेंट की ओर बढ़ रहा है जिसकी कोई सीमा नहीं। लेकिन 1 जनवरी एक ऐसा दिन है जो आपको पुराने दिनों की याद दिला देगा। कैशलेस इंडिया के उस पुराने दिन को याद करेंगे तो आप भी कहेंगे क्या ऐसा भी होता था।
इंडिया में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर की शुरूआत तो पहले ही हो चुकी थी लेकिन लोगों का इतना ध्यान नहीं था लेकिन नोटबंदी के बाद देश को कैशलेस बनाने के लिए लोग कम से कम कैश का प्रयोग कर रहे है ऐसे में वे अपने मनी ट्रांजैक्शन के लिए ईपैमेंट का सहारा ले रहे है। लेकिन सालों पहले जब आपको दूर बैठे आपके रिश्तेदार या बीवी बच्चों को पैसे पहुंचाने होते थे तो कोई डिजिटल ट्रांजैक्शन करने का सहारा नहीं था तब आपके पास एक ही जुगाड़ था और वो था मनी आर्डर।
मनी आडर्र आज भले ही एक इतिहास बन गया हो लेकिन भारत के इतिहास में ये उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आज भारत का कैशलेस होना है। आज से 162 साल पहले 1 अप्रैल 1854 में भारत में भारतीय डाक की स्थापना की गई थी भारतीय डाक भी हमारे लिए उस समय में उतना जरूरी था जितना आज मैसेज और ईमेल है।
अपने संदेश को, अपने मन की बात को एक गहरे पीले रंग के कागज़ पर लिखकर एक लिफाफे में बंद करके हम उसे एक लाल डिब्बे में डाल देते थे उस पर लगा कुछ पैसों का टिकट और पिनकोड ही उसे सहीं मुकाम तक पहुंचाता था। जब ये लिफाफा अपने मुकाम पर पहुंचता था तो पढ़ने वाले के चेहरे पर अलग-अलग भाव होते थे। इसे पहुंचाने में लगभग 8 से 10 दिन का समय लग जाता था लेकिन आज जमाना बदल गया है और इसकी जगह मैसेज और ईमेल ने ले ली है।
भारतीय डाक का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा था मनी ऑर्डर। किसी गांव का इंसान शहर में काम करने आया और महीनेभर उसने कमाया जरूरत पड़ी पैसों को घर भेजने की तो या तो छुट्टी लेकर वो खुद जाता या किसी के हाथ भिजवाता। अब उस समय में तो ऑनलाइन मनी ट्रांसफर की सुविधा थी नहीं तो डाक विभाग ने पैसा पहुंचाने के लिए शुरू किया मनी ऑर्डर जिसका फायदा इन लोगों को मिला।
मनी ऑर्डर की शुरूआत 1 जनवरी 1880 को की गई थी। उस समय मनी ऑर्डर करने में बड़ी शंका थी क्या पता हमारी मेहनत का पैसा पहुंचेगा या नहीं लेकिन डाक विभाग ने अपना भरोसा बनाए रखा। मनी ऑर्डर के लिए लोगों को एक फार्म भरना होता था जिसमें अपना नाम पता और कहां पहुंचाना है उनका नाम पता, कितने पैसे है और कुछ डिटेल। इसके साथ ही आपका पैसा जमा हो जाता था पोस्ट ऑफिस में। कुछ निश्चित समय के बाद आपका पैसा अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच जाता था।
भारत के इतिहास में देखा जाए तो मनी ऑर्डर भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। वो हिस्सा जो दूर रह रहे लोगों की जरूरत को समय पर पूरा करता है। मनी ऑर्डर समय के साथ इतिहास में बदल गया और इसका अंत हो गया। आजादी के बाद से ही लोगों ने पैसों के लेन-देन के लिए बैंक का सहारा लिया। इसके बाद एटीएम आने से तो ये समस्या ही खत्म हो गई। एटीएम से तो बस बैंक में पैसा डालों और कही से भी निकालो तो इस कारण धीरे-धीरे मनीऑर्डर का प्रयोग कम होता गया।
साल 2015 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसा भारत को विदेशों द्वारा सबसे ज़्यादा मनी ऑर्डर मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में भारत को करीब 69 अरब डॉलर मनी ऑर्डर मिला था जो अन्य देशों की तुलना में काफी ज़्यादा था। लेकिन अप्रैल 2015 में ही इस सेवा को बंद कर दिया गया पारंपरिक रूप से पैसे पहुंचाने का माध्यम मनीऑर्डर अब एक इतिहास बन गया।
मनीऑर्डर को बंद करने के साथ ही भारतीय डाक विभाग ने इसके इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप को शुरू किया जिसे इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर तथा इंस्टैंट मनी ऑर्डर नाम दिया गया। इसके जरिए आप ऑनलाइन एक फार्म भरकर पैसा भेज सकते है। ये सेवा काफी तेज और सहज है। इसके जरिए आप 1000 से 50,000 रूपए तक मनीऑर्डर कर सकते है।
तो ये था मनीऑर्डर का इतिहास जो अब भी भारत में किसी रूप में ज़िन्दा हैं। मनी ऑर्डर हमारी ज़िन्दगी का वो हिस्सा था जिसके सहारे कई लोगों के घर चल रहे थे। जिन्हें इसके कारण आर्थिक समस्याओं से तुरंत निजात मिल जाता था।
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