मीडिया स्टूडेंट्स का टीवी की तरफ रूझान ‘पिंकी पप्पू सिंड्रोम’
वरिष्ठ पत्रकार विजय क्रांति ने कहा कि सफलता सिर्फ दिमाग से तय नहीं होती, उसमें शरीर के अन्य अंग भी कार्य करते है। उन्होंने ने यह बात आज यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार यूनिवर्सिटी, भोपाल में स्टूडेंट्स के वार्षिक खेलकूद एवं सांस्कृतिक आयोजन प्रतिभा 2017 के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी से हमारा विकास होता है। वास्तव में प्रतिस्पर्धा हमारे व्यक्तित्व विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है। उन स्टूडेंट के जीवन में सफलता की दर ज्यादा होती है, जो पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लेते है।
उन्होंने कहा कि पूर्व की तुलना में पत्रकारिता एवं संचार के अच्छे और ज्यादा प्रशिक्षण संस्थान उपलब्ध हैं। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी ज्यादा है। लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट्स का सिर्फ टेलीविजन की तरफ रूझान होने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। ऐसा लगता है कि वे सब ‘पिंकी पप्पू सिंड्रोम’ से पीड़ित है।
उन्होंने अपनी बात ख़त्म करते हुए कहा कि युवाओं को मीडिया के अन्य माध्यमों में भी रोजगार के अवसर भी देखना चाहिए और वहां सीखना चाहिए। टेलीविज़न सीखने की जगह नहीं है, यह परफार्म करने की जगह है। प्रिंट मीडिया में प्रशिक्षित पत्रकार टेलीविज़न में ज्यादा तेजी से सफलता प्राप्त करता है।
नारद की तरह बनें सफल और विश्वसनीय कम्यूनिकेटर
समारोह की अध्यक्षता करते हुए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने स्टूडेंट्स से आव्हान किया कि वे नारद की तरह सफल और विश्वसनीय संचारक बने। देवर्षि नारद की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वे पूरे विश्व की सूचनाएं रखते थे। उनकी सूचनाओं पर कभी भी प्रश्नचिन्ह नहीं लगा, क्योंकि उनकी विश्वसनीयता ऐसी बन चुकी थी। वे हमेशा समाज हित में सुझाव देते थे।
सोशल मीडिया ने देशों की सीमाओं को अप्रासंगिक बनाया
उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरू बन चुका है। आज 27 ऐसे देश हैं, जिनमें से यदि भारतीयों को वापस बुला लिया जाए, तो उनकी कोई ना कोई व्यवस्था ठप्प हो जाएगी। अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि विश्व को हम कहाँ ले जाना चाहते हैं। वर्तमान समय आज के युवाओं के लिए स्वर्णिम काल है। पूरा विश्व संवादपालिका पर आधारित हो रहा है। सोशल मीडिया ने देशों की सीमाओं को अप्रासंगिक बना दिया है। संवाद के कई माध्यम उन्नत हो रहे है और मीडिया विश्व मानवता का निर्माण कर रहा है।
उन्होंने कहा कि संचार की विविध व्यवस्थाओं को चलाने के लिए करोड़ों लोगों की आवश्यकता है। युवाओं के लिए नए अवसर सामने आने वाले है। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि वे ऐसा व्यक्तित्व बनाए जो समाज में स्वीकृत हो और सम्मानित भी हो। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा, कुलसचिव दीपक शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में नोएडा परिसर से 65, खंडवा से 22, ग्वालियर से 18 और रीवा परिसर से 9 विद्यार्थियों ने भागीदारी की।
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