भारत और एशिया मामलों के एक जाने माने विशेषज्ञ का यह मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ‘सधे हुए कारोबारी’ हैं, जो बातों को पूरा करने के लिए पुरानी परंपराएं तोड़ने के इच्छुक रहते हैं. आपको बता दें की विश्व के इन दोनों बड़े नेताओं की अगले हफ्ते पहली मुलाकात होगी.
आर्थिक संबंध बदलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के साथ भारत के लिए सीनियर फेलो मार्शल बाउटन ने एक साक्षात्कार में उक्त अभिव्यक्ति जाहिर करते हुए यह भी कहा है कि ट्रम्प प्रशासन माल को निर्यात करने के लिए बाजार चाहता है और भारत अपने यहाँ निवेश चाहता है. वहां कहीं एक सौदा है. दोनों नेता सधे हुए कारोबारी हैं और ये दोनों चीजों को पूरा करने के लिए पुरानी परिपाटी और पुरानी नीति को तोड़ना चाहते हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि दोनों नेताओं को अगले सप्ताह होने वाली अपनी पहली बैठक के दौरान द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बदलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
अमेरिका-भारत के बीच आर्थिक संबंध ‘सबसे कमजोर’
द शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स के सेवानिवृत्त अध्यक्ष बाउटन ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के मुकाबले ‘सबसे कमजोर’ बताया. बाउटन ने कहा कि अगर मोदी और ट्रंप अमेरिका-भारत संबंधों के बारे में बड़ा सोचना चाहते हैं तो उन्हें इस तरीके वाले आर्थिक संबंधों में बदलाव लाने के बारे में सोचना चाहिए जैसे जॉर्ज बुश के तहत असैन्य परमाणु समझौते और बराक ओबामा के तहत जलवायु समझौते के साथ कूटनीतिक संबंध मजबूत हुए थे.
एच1बी वीजा मोदी-ट्रंप की बैठक की प्राथमिकताओं में शायद ही शामिल
भारत और एशिया मामलों के जानकार बाउटन ने कहा कि भारत के साथ अब अमेरिका का व्यापार 100 अरब डॉलर तक बढ़ गया है. हालांकि पिछले 15 वर्षों में भारत का निर्यात तेजी से बढ़ा है लेकिन अमेरिका में भारतीय माल का निर्यात 2016 में कुल अमेरिकी निर्यात का केवल 2.1% ही रहा. मोदी की अमेरिकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब आव्रजन सुधार पर ट्रंप प्रशासन के ध्यान केंद्रित करने के बीच एच1बी वीजा को लेकर भारतीय IT पेशेवरों और कंपनियों के बीच चिंताएं बढ़ रही है. हालांकि बाउटन ने कहा कि एच1बी वीजा मोदी-ट्रंप की बैठक की प्राथमिकताओं में शायद ही शामिल होगा.