Tuesday, August 1st, 2017
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अब 50 हजार से ज्यादा का गिफ्ट देने के लिए देना होगा टैक्स




Business

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कंपनियों में अक्सर एम्प्लॉयीज को गिफ्ट देने का ट्रेंड होता है, जिसमें कई बार कंपनी सालभर में एम्प्लॉयीज को 50 हजार से ज्यादा के उपहार भी देती है। लेकिन अब इस ट्रेंड पर लगाम  कसने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने कहा है कि कंपनी द्वारा कर्मचारियों को दिए गए 50 हजार तक के तोहफे तो जीएसटी से बाहर हैं, लेकिन जहां कंपनी ने सालभर में 50 हजर से ज्यादा के तोहफे कर्मचारियों को दिए तो उन पर टैक्स देना होगा। वह गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानि जीएसटी के दायरे में आ जाएगा। बता दें कि सरकार ने ये कदम कॉपोरेट्स में एमप्लॉयीज को दिरए जाने वाले महंगे  और लक्जरी गिफ्ट को ध्यान में रखकर उठाया है।

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा है कि कंपनियों की तरफ से अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले गिफ्ट और अतिरिक्त सुविधाएं जीएसटी के तहत आएंगी। कसी नियोक्ता की तरफ से कर्मचारियों को दिए जाने वाले 50 हजार तक के उपहार तो जीएसटी से बाहर होंगे, लेकिन 50 हजार रूपए से ज्यादा वैल्यू वाले गिफ्ट पर जीएसटी लगेगा।

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क्या है उपहार की परिभाषा

सवाल यह उठता है कि उपहार की परिभाषा क्‍या है। उपहार को जीएसटी कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। आम भाषा में, उपहार बदले में कुछ भी नकद राशि लिए बगैर दिया जाता है, यह स्‍वेच्‍छा से दिया जाता है और कभी-कभी दिया जाता है। कोई भी कर्मचारी यह नहीं कह सकता है कि उपहार लेना उसका अधिकार है। इसी तरह कोई भी कर्मचारी उपहार पाने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकता है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि कंपनी अगर अपने कर्मचारी को बिना बताए पैसा या सामान देती है तो इसे गिफ्ट माना जाएगा। कर्मचारी नौकरी के दौरान कंपनी को जो सर्विस दे रहा है उस पर जीएसटी नहीं लगेगा।

इसके अलावा अगर किसी कंपनी ने अपने कर्मचारियों को क्‍लब, स्वास्थ्य या फिटनेस सेंटर की मेंबरशिप दी है तो कंपनी को इस पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। इसी तरह से कंपनी ने अगर अपने कर्मचारी को फ्री हाउसिंग की सुविधा दी है तो इस पर जीएसटी नहीं लगेगा। हालांकि इसमें जरूरी है कि ये सुविधा सीटीसी में शामिल हो। आपको बता दें कि 30 जून की आधी रात से यानी 1 जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू हो चुका है। जीएसटी लागू होने के बाद अब केन्द्र और राज्य के स्तर पर लगने वाले कुल 17 टैक्स खत्म हो गए हैं और उन सबकी जगह अब जीएसटी ने ले ली है। वहीं दूसरी ओर, 23 अलग-अलग तरह से सेस भी जीएसटी के आने के बाद खत्म हो गए हैं।

 

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