राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के केंद्र सरकार के कदम की गुरुवार को सराहना करते हुए कहा कि इससे कई करों के भार से आजादी मिलेगी, जिसे लोगों को अबतक भरना पड़ता था। देश की 130 करोड़ की आबादी के लिए एक कर प्रणाली को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का शुक्रिया अदा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अब तक उपभोक्ताओं को वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन मूल्य पर 30 से 40 फीसदी अधिक खर्च करना पड़ता था।
यहां द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटैंट्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने स्मरण किया कि अतीत में किस प्रकार वह तथा अन्य वित्त मंत्रियों ने जीएसटी को लागू करने को लेकर निर्थक परिश्रम किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वित्त वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक होता है और अब इसे जनवरी-दिसम्बर किये जाने के बारे में भी सोचा जा रहा है। उन्हाेंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया जीएसटी एक जुलाई से लागू हो जायेगा और इससे पूरा भारत एक समान कर प्रणाली के तहत आ जायेगा।
राष्ट्रपति ने कहा,“भारत विविधताओं से पूर्ण देश है जिसकी जनसंख्या 130 करोड़ है और जहां 200 भाषाएं बोलते है ,ये लोग सात प्रमुख धर्मों को मानने वाले हैं और तीन प्रमुख जातीय समूहों से संबंध रखते हैं तथा ये लोग एक व्यवस्था,एक झंड़े और एक संविधान के तहत रहते हैं। यहीं भारत का चरित्र है। हमे एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा न कि अलग-अलग होकर।” उन्होंने बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया और ऐसे में जब नालंदा,तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने छात्राें और शिक्षकों का आकर्षित किया है तो प्राचीन भारत में प्रचलित उच्च शिक्षा प्रणाली की महिमा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा से लेकर राष्ट्रपति बनने से पहले वित्त मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल तक हमने जीएसटी के लिए प्रयास किया। मैंने जीएसटी के लिए साल 2011 में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सका।’ राष्ट्रपति ने बजट सत्र को फरवरी के पहले दिन से शुरू करने तथा रेलवे बजट सहित स्वतंत्र भारत का पहला संयुक्त बजट पेश करने के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा की।