आम मान्यता
परन्तु कुछ आम मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद एक पत्नी का नाम अपने पति के नाम के हिसाब से बदल जाता है। उसे अपनी शादी से पहले के गोत्र को छोड़कर अपने पति का गोत्र अपनाना होता है।
गोत्र का संबंध
आज के समय में गोत्र के स्थान पर लोग पति के आखि़री नाम को अधिक महत्ता प्रदान करते हैं। इसलिए लड़कियां शादी के बाद अपना आखि़री नाम बदल लेती हैं। इसके साथ ही उसका पति जिस संसार का हिस्सा है उसी में उसको भी ढलना होता है। यह भी एक कारण है कि पत्नी क्यों अपना घर छोड़ अपने पति के साथ रहती है।
सामाजिक पहलू
इसका एक और कारण सामाजिक पहलू से भी जुड़ा है। एक वधु शादी के बाद अपने परिवार को अपने पति की आंखों से देखती है। अब उसका परिवार वही है जो उसके पति का है। उसका खुद का परिवार वह होगा जो उसके आने वाली पीढ़ी से बनता है और इसी संसार को आगे बढ़ाने के लिए पत्नी अपना पुराना घर छोड़ अपने पति के साथ ही रहती है।
आपके विचार?
लेकिन आपका इस बारे में क्या विचार है? क्या आप वैदिक संदर्भों को सही मान रहे हैं या फिर सामाजिक पहलू ही काफी है? या फिर इस स्थिति में बदलाव लाना चाहिए और लड़कों को शादी के बाद लड़की के घर जाना चाहिए?
Courtesy- Speaking Tree