Thursday, August 31st, 2017
Flash

गांव मुस्कुराएंगे तो शहर मुस्कुराएंगे




पूरे देश में सरकार की स्मार्ट सिटी योजना का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार हो रहा है। उस योजना पर अमल की तैयारी चल रही है। उस पर अरबों रुपए का बजट बन रहा है। कोई भी विकास योजना बुरी नहीं होती। किंतु किस समय किस योजना की जरुरत है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार ’नेता-अफसर’ अक्सर उन्हीं योजनाओं को ज्यादा मूर्तरूप देने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिसमें बजट अच्छा बने और कम काम में पब्लिसिटी ज्यादा हो ताकि उन सबका फायदा ही फायदा हो सके। जनता का हकीकत में कितना फायदा होगा, देश का सही मायने में कहां विकास होना चाहिए, इन सब बातों से उनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता है। यही वजह है कि इतने वर्षों में, इतना धन खर्च करके भी हम आज उतना विकास नहीं कर पाए हैं। जबकि हमसे छोटे अनेक देश जिनके पास बहुत ज्यादा साधन नहीं थे, वे काफी आगे निकल गए।

rone do

अब सवाल ये आता है कि स्मार्ट सिटी की वर्तमान समय में क्यों जरुरत नहीं है? वजह साफ है कि भारत कृषि प्रधान देश है। उसे वर्तमान में स्मार्ट विलेज की जरुरत सबसे पहले है। जब विलेज स्मार्ट बन जाएंगे तो सिटी स्वतः ही स्मार्ट हो जाएगी। हमारे गांव, हमारे खेत-खलिहान वर्तमान समय में अनेक प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। कभी बाढ़ से तो कहीं सूखे से प्रभावित होते हैं। कहीं पानी की कमी, कहीं सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं मिल पाते हैं तो कहीं बिजली की समस्या है। कहीं पैदावार ज्यादा होने से फसल कम दामों में निकल जाती है तो कहीं बहुत कम फसल बैठ पाती है। कुल मिलाकर बात यह है कि आज भी हम फसलों को लेकर उन्नत नहीं हो पाए हैं। हमारी सारी तकनीक शहर तक ही सीमित है। हमारा सारा ध्यान शहरों के विकास तक ही सीमित रहता है। यही वजह है कि कुछ बड़े किसानों को छोड़ दें तो छोटे किसान अक्सर कर्ज में डूबे ही नजर आते हैं। यही वजह है कि किसान आज भी आत्महत्याएं कर रहा है, परेशानियां झेल रहा है।

खेती प्रकृति के भरोसे छोड़ दी गई, अन्य साधन शहरों ने छीन लिए। ऐसे में जब-जब प्रकृति का खेल बिगड़ा तब हमारा किसान तबाह हुआ। कारण साफ है, उन प्रकोपों से बचने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं हैं। दूसरा उनके पास आय का कोई अन्य जरिया नहीं है जिसकी मदद से वे ऐसी विषम स्थिति में अपनी अजीविका चला सकें। हमारे देश में काफी उपजाऊ भूमि है, देश की अधिकांश आबादी गांवों में बसती है। हमारे पास अब कम्यूनिकेशन के अच्छे साधन हो चुके हैं, आवागमन के अच्छे साधन हो चुके हैं, टेक्नोलॉजी का हम यहां पर भरपूर उपयोग कर सकते हैं। गांवों को स्मार्ट बनाना हमारी पहली आवश्यक्ता होना चाहिए। गांवों के बच्चे शिक्षा, व्यापार, नौकरी के लिए पलायन कर शहरों में चले जाते हैं। गांव बूढ़े और खाली हो रहे हैं क्योंकि उनकी मुस्कान शहर की तरफ बढ़ गई, जबकि शहर की समस्याओं से सभी अवगत हैं। दिन-प्रतिदिन बढ़ती आबादी, रहने की समस्या, ट्रेफिक की समस्या, पर्यावरण, प्रदूषण की समस्या दिन दोगुनी बढ़ती जा रही है। वहां हमारे विकास के सभी साधन-व्यवस्था विफल हो रही हैं। टैक्स बेहिसाब बढ़ते जा रहे हैं अर्थात हमारी मुस्कान यहां भी गायब है। यदि गांव विकसित होंगे तो वहां फसल भी अच्छी होगी। किसानों के आय के अन्य स्त्रोत बढ़ेंगे। शिक्षा की वहां व्यवस्था होने से वहां का बच्चा वहीं पढ़-लिखकर वहीं अपनी जीविका में लग जाएगा। कुल मिलाकर गांव की मुस्कान फिर लौट आएगी तो शहरों में भी भीड़ कम होने से सभी व्यवस्था सुचारु रुप से पूरी हो सकेंगी अर्थात वहां भी मुस्कान लौट आएगी। और अंततः हम फिर एक बार कह सकेंगे…

’’मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती’’

team-img2-150x150

सुमेश खंडेलवाल
प्रधान संपादक

Sponsored



Follow Us

Yop Polls

तीन तलाक से सबसे ज़्यादा फायदा किसको?

Young Blogger

Dont miss

Loading…

Related Article

No Related

Subscribe

यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

Subscribe

Categories