Sunday, August 6th, 2017
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ट्रम्प के कदम का अमेरिका सहित अन्य देशों में भी कड़ा विरोध




Politics

Strong opposition to Trump on Paris Deal

अमेरिका के कई राज्य, शहर, कॉर्पोरेशन्स और जानी-मानी हस्तियों ने ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पैरिस समझौते से अमेरिका को बाहर रखने के ट्रंप के फैसले का US में जमकर विरोध हो रहा है। बड़ी तादाद में लोगों ने पैरिस समझौते का समर्थन करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि अमेरिका इस संधि को लेकर प्रतिबद्ध बना रहे। न्यूयॉर्क से लेकर कैलिफॉर्निया, जनल इलेक्ट्रिक से लेकर फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां, बुद्धिजीवियों से लेकर आम अमेरिकी नागरिक सभी इस मुद्दे पर ट्रंप के विरोध में नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने भले ही इस संधि को ‘अमेरिका विरोधी’ बताते हुए इससे पैर पीछे खींचने का ऐलान किया हो, लेकिन US में बहुसंख्यक लोग ट्रंप के इस विचार से सहमत नहीं दिख रहे।

पैरिस डील के प्रति समर्थन जताने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर सहित प्रमुख स्थानों पर हरी रौशनी

ट्रंप के इस फैसले की बगावत करने में जो स्टेट सबसे ज्यादा मुखर हैं, उनमें न्यूयॉर्क और कैलिफॉर्निया का नाम सबसे आगे है। पैरिस समझौते के प्रति समर्थन जताते हुए न्यूयॉर्क के गर्वनर ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर सहित शहर की प्रमुख जगहों को हरे रंग की रोशनी से भरने का आदेश दिया। उधर कैलिफॉर्निया के गर्वनर जेरी ब्राउन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि अगर अमेरिका पैरिस समझौते से पीछे हटता है, तो कैलिफॉर्निया खुद चीन के साथ जलवायु परिवर्तन पर एक संधि करेगा। मालूम हो कि कैलिफॉर्निया को अमेरिका का ‘गोल्डन स्टेट’ माना जाता है। इसकी अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक-तिहाई है।

पिट्सबर्ग पैरिस समझौते के साथ खड़ा रहेगा

वैसे राष्ट्रपति ट्रंप की सबसे ज्यादा फजीहत पिट्सबर्ग ने की। ट्रंप ने अपने भाषण में कहा था कि वे पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रपति बने हैं, न कि पैरिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए। पैरिस डील पर उनके फैसले की आलोचना करते हुए पिट्सबर्ग के मेयर ने कहा कि उनके राज्य के 80% से ज्यादा ने डेमोक्रैटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन के लिए मतदान किया था, न कि ट्रंप के लिए। मेयर ने यह भी कहा कि उनका स्टेट पैरिस समझौते के साथ खड़ा रहेगा। बड़ी संख्या में कारोबारियों और औद्योगिक घरानों ने भी ट्रंप के फैसले का विरोध किया है।

व्यापार जगत भी खफा

कारोबारियों और उद्योगपतियों के विरोध की बात करें, तो डिज़्नी के प्रमुख बॉब आइगर ने भी डॉनल्ड ट्रंप की सलाहकार समिति से इस्तीफा दे दिया है। पैरिस क्लाइमेट डील से अमेरिका को अलग करने की ट्रंप की घोषणा का विरोध करते हुए आइगर ने यह कदम उठाया। अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए एक ट्वीट में बॉब आइगर ने लिखा कि यह आदर्शों का सवाल है। मैंने पैरिस समझौते से अमेरिका को अलग किए जाने का विरोध करते हुए डॉनल्ड ट्रंप की बिजनेस सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया है।

ट्रंप प्रशासन उन मुट्ठीभर में शामिल, जो भविष्य को नकार रहे – ओबामा

ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका में जमकर विरोध हो रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जिनके समय में यह समझौता हुआ था, ने भी ट्रंप के इस निर्णय की आलोचना की है। ओबामा ने कहा कि पैरिस समझौते में बने रहने वाले देश रोजगार और उद्योगों के नए मौकों का फायदा लेंगे। मेरा यकीन है कि अमेरिका को इस पंक्ति में सबसे आगे खड़ा होना चाहिए। एक बयान जारी कर ओबामा ने कहा कि ट्रंप प्रशासन उन मुट्ठीभर देशों में शामिल है, जो कि आने वाले भविष्य को नकार रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि अमेरिका के स्टेट्स, शहर और कारोबारी-उद्योगपति आगे आएंगे और अपने देश को आगे ले जाने की और ज्यादा कोशिश करेंगे। ऐसा करना बेहद जरूरी है, ताकि हमारे पास जो इकलौता ग्रह है, उसे हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें।

अन्य विकसित देशों से भी मुखालफत के स्वर

साथ ही, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल और फ्रांस के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने भी ट्रंप के इस कदम की निंदा की। मैक्रों ने पैरिस क्लाइमेट डील पर बोलते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कोई प्लान B नहीं है। ऐसा इसलिए कि हमारे पास केवल धरती ही है, कोई दूसरा ग्रह नहीं। ब्रिटेन की पीएम टरीज़ा मे, जो कि ट्रंप अमेरिका के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से हैं, ने भी ट्रंप के इस निर्णय पर अफसोस जताया है। खबरों के मुताबिक, टरीज़ा ने निजी तौर पर ट्रंप को फोन कर बताया कि वह इस नए घटनाक्रम से संतुष्ट नहीं हैं।

इस्तीफों की बयार

इससे पहले टेस्ला के चीफ एग्जिक्युटिव इलोन मस्क ने भी राष्ट्रपति ट्रंप की काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था। मस्क ने ट्वीट किया कि मैं राष्ट्रपति परिषद से बाहर निकल रहा हूं। जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है। पैरिस समझौते से बाहर निकलना न तो अमेरिका के लिए सही है और ना ही बाकी दुनिया के लिए। ट्रंप की विवादित नीतियों का विरोध करने में टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां काफी आगे रही हैं। इससे पहले फरवरी में जब ट्रंप प्रशासन ने 7 मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, उस समय भी ऊबर के CEO ने काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था।

पैरिस समझौते के रूप में बाकी देशों ने एक साजिश रची – ट्रम्प

इस परिषद का गठन ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद दिसंबर 2016 में किया था। बताया गया था कि अहम नीतियों से जुड़े फैसले लेने में यह काउंसिल ट्रंप प्रशासन की मदद करेगी। मालूम हो कि गुरुवार को ट्रंप ने पैरिस समझौते से अमेरिका को अलग करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए पैरिस समझौते के रूप में बाकी देशों ने एक साजिश रची। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका दोबारा इस समझौते में शामिल होने की कोशिश कर सकता है, लेकिन इसके लिए वह अपनी नई शर्तें खुद तय करेगा। अपने चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप ने इस समझौते को लेकर ओबामा प्रशासन की काफी आलोचना की थी। उन्होंने पैरिस क्लाइमेट डील को अमेरिका के हितों के खिलाफ बताया था।

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