अब प्रदेश की पुलिस जुटी है कुपोषण मिटाने में
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भोपाल। भोपाल के पास श्योपुर जिले के करीब 20 बच्चों की कुपोषण से मौत हुई। करीब 160 बच्चों को गम्भीर कुपोषण से ग्रसित हुए। जिस वजह से इस ज़िले के पुलिस अधीक्षक संकेत पांडे ने बच्चों की सेहत को गंभीरता से लेते हुए जिले की सेहत संवारने का ज़िम्मा अपने सर उठा लिया है। इस जिले में आदिवासी भारी मात्रा में है जिसके चलते अधीक्षक पांडे ने अपने जिले के अंर्तगत आने वाले 18 गावों से कुपोषण मिटाने के लिए अपने स्तर पर एक रणनीति तैयार की है।
हाल ही, श्योमपुर जिले के करीब 19,000 से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाए गए। जिसकी जानकारी राज्य सरकार द्वारा जारी आकड़ों में पाई गई। मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य घोषित हुआ। जिसके बाद जिले की पुलिस सक़्ते में आ गई। जिसके तहत अधीक्षक पांडे का कहना है, “मैं अपनी टीम से क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी लेता हूं हमारी टीम कुपोषण मिटाने के कारगार प्रयास कर रही है। हाल ही में, इस संबंध में मुझे सरकारी अधिकारीयो की लापरवाही की जानकारी मेरी टीम से मिली। मैं इस बारे में संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों से बात करूंगा। साथ ही कलेक्टर को भी इस बात की जानकारी दूंगा।“
पुलिस अधिक्षक के प्रयासों को देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट के अफ़सर और कर्मचारी भी प्रभावित होकर अपने काम को लेकर अग्रसर दिखें। जो बच्चो की सुरक्षा को लेकर लापरवाह दिखे उनपर कढी कार्यवाही करने के भी आदेश दिये है। इस सख़्त कायदे के बाद जिले के स्वास्थ्य विभागों के कर्मचारीयों की भी अटेडेंस बढ़ती देखी गई है।
दरअसल, श्योमपुर जिले के गत वर्ष अगस्त और सितंबर के महीने में कुपोषण की वजह से लगभग 20 के करीब बच्चो की मौत हो गई थी। जिसके बाद अधीक्षक पाण्ड़े ने अपनी ड्युटी से आगे बढ़ते हुए कुपोषण को पूरी तरह ख़त्म करने की ठान ली। जिसके लिए उन्होने अपने जिले के 18 गावों के लिए कुपोषण ट्रेंनिंग प्रोगाम लॉच किये है। इसके तहत अपने को साथियों को कुपोषण मिटाने के लिए जरूरी दवाईयां, विटामिन्स और माता-पिता को बच्चो की देखरेख को लेकर काउंसलिंग भी दि जा रही है।
केवल माता-पिता ही नहीं ये ट्रेंनिग टीम गर्भवती महिलायों का भी ध्यान रख रही है जिसके अंर्तगत महिलायों को विटामीन और आयरन की गोलियां दी जा रही है। अधिक्षक पांण्डे का कहना है,“हम नहीं चाहते कि, इस क्षेत्र में जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा कुपोषण से ग्रस्त हो।“
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