BJP के प्रखर वक्ता के रूप में राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले मोदी सरकार में कानून और न्याय और IT मंत्री रविशंकर प्रसाद इसके पूर्व में भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 4 वर्ष तक विभिन्न विभागों के मंत्री रह चुके हैं। लेकिन आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा की रविशंकर प्रसाद ने अपना राजनीतिक कॅरियर लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में पटना यूनिवर्सिटी के तेजतर्रार स्टूडेंट लीडर के तौर पर शुरू किया, लेकिन उनका BJP में आना बहुत स्वाभाविक रहा क्योंकि उनके वकील पिता स्व. ठाकुर प्रसाद जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 30 अगस्त आपका जन्मदिवस है, यूथेन्स न्यूज़ की तरफ से आपको ढेरों शुभकामनाएं!
पटना के एक प्रख्यात कायस्थ परिवार में 30 अगस्त 1954 को जन्मे रविशंकर ने पटना यूनिवर्सिटी से स्नातक, स्नातकोत्तर और फिर कानून की पढ़ाई की। उन्होंने 1970 के लगभग में स्टूडेंट लीडर के तौर पर अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर शिरकत की। उन्होंने 1974 के जे. पी. आंदोलन में हिस्सा लिया और आपातकाल के दौरान जेल भी गए।
अपने कालेज के दिनों में वह पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के सहायक महासचिव बने। तब लालू प्रसाद यादव संघ के अध्यक्ष थे।1980 से पटना हाई कोर्ट में वकालत की प्रेक्टिस शुरू करने के बाद उन्हें 1999 में पटना हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त कर लिया और वर्ष 2000 में वे भारत के सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट के रूप में शुमार हो गए।
RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ करोड़ों रू. के चारा घोटाले में प्रसाद ही मुख्य अधिवक्ता थे। उन्होंने हवाला मामले में BJP के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की पैरवी भी की थी। 2010 में प्रसाद अयोध्या टाइटल मुकदमे में मुख्य अधिवक्ता रहे और इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश हुए।
प्रसाद को वर्ष 2000 में केन्द्रीय कोयला एवं खनन राज्य मंत्री बनाया गया और जुलाई 2002 में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार दिया गया, जहां उन्हें फास्ट ट्रैक अदालतों की प्रक्रिया में तेजी लाने का श्रेय जाता है। बाद में NDA शासन में सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर उन्होनें रेडियो, टेलीविजन और एनीमेशन के क्षेत्र में सुधारों की शुरूआत की। उन्हें गोवा को भारतीय अन्तरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का स्थायी आयोजन स्थल बनाने का श्रेय भी जाता है।
BJP जब 10 साल तक सत्ता से दूर रही, उस दौरान रविशंकर प्रसाद पार्टी के प्रमुख सार्वजनिक प्रवक्ता के रूप में टेलीविज़न सहित लगभग सभी संचार साधनों पर छाते रहते थे। वे प्रमुख मामलों पर अपने विचार स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करने के लिए पार्टी एवं मिडिया में सराहे जाते थे, जिस कारन पब्लिक में भी उनको अदद पहचान मिलती गई और कई वर्ष तक पार्टी के मुख्य प्रवक्ता बने रहे।
उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकील थे तथा तत्कालीन जनसंघ (वर्तमानकाल में भाजपा) के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। उनका विवाह 3 फ़रवरी 1982 को डॉ॰ माया शंकर के साथ हुआ। वह वर्ष 2012 में बिहार से राज्य सभा सदस्य के रूप में तीसरी बार चुने गए। रविशंकर प्रसाद की बहन अनुराधा प्रसाद मीडिया से जुड़ी हैं और कांग्रेस नेता तथा पूर्व IPL अध्यक्ष
राजीव शुक्ला की पत्नी हैं। उनके दो बच्चे एक पुत्र का नाम है आदित्य शंकर एवं एक पुत्री अदिति है।
रविशंकर का मानना है कि कानून और राजनीति की दुनिया को साथ लेकर चलना आसान नहीं है, लेकिन वे सुनिश्चित करते हैं कि संसद उनकी पहली प्राथमिकता बनी रहे। उनका कहना है कि वे तीन P – पार्लियामेंट, पार्टी और प्रोफेशन (संसद, पार्टी और पेशे) पर फोकस करते हैं।
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