Friday, September 1st, 2017 19:41:17
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मोदी ने लाख कहा, फिर भी नहीं सुना IAS अधिकारियों ने कहना




Politics

Whole country IAS officers aren't submitting property details.

आपको पता ही होगा करप्शन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने IAS अधिकारियों के लिए कई नियम बनाये हैं। लेकिन IAS अधिकारियों पर इसका असर होता नहीं दिख रहा है। ऐसा ही एक अहम् नियम यह है कि – सभी IAS अधिकारियों को हर साल जनवरी के आखिर तक बीते साल का अचल संपत्ति रिटर्न जमा कराना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें पदोन्नति और एंपैनेलमेंट से वंचित किया जा सकता है। लेकिन कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के आंकड़ों के अनुसार देश भर के 1800 से ज्यादा IAS अधिकारियों ने नियत समयावधि के अंदर सरकार को अपनी अचल संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया है, और अब 3 माह से ऊपर बीत जाने पर भी उनके माथे पर जू तक नहीं रेंग रही है।

कुल 1856 IAS अधिकारियों ने नहीं दी संपत्ति की जानकारी

DOPT के आंकड़ों के अनुसार 1856 IAS अधिकारियों ने 2016 के लिए अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है। रिटर्न नहीं भरने वाले सर्वाधिक 255 IAS अधिकारी उत्तर प्रदेश के हैं जबकि राजस्थान के 153 और मध्य प्रदेश के 118 अधिकारियों ने भी रिटर्न दाखिल नहीं किया है। पश्चिम बंगाल के 109 और अरूणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केन्द्र शासित प्रदेश (AGMUT) कैडर के IAS अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक कैडर के 82, आंध्रप्रदेश के 81, बिहार के 74, ओडिशा, असम एव मेघालय के 72-72, पंजाब के 70, महाराष्ट्र के 67, मणिपुर-त्रिपुरा के 64 और हिमाचल प्रदेश के 60 IAS अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं।

2014 व 2015 में भी संपत्ति ब्यौरा देने से किया था इंकार

मोदी सरकार भी बड़े स्तर की रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए इन कानूनों को सख्ती से लागू कर रही है। IAS अधिकारी इन कानूनों से बचने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेते हैं। 2015 में 1527 और 2014 में 1537 अधिकारियों ने अचल संपत्ति से जुड़ी अपनी जानकारी देने से मना कर दिया था। नियम से, यह माना जाता है कि सिविल सेवा अधिकारी अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा सरकार को देंगे। कुछ और नियमों के तहत IAS अधिकारियों को 5 हजार रुपये तक का गिफ़्ट लेने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है, इसके अलावा यदि वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से 25 हजार रुपये तक के गिफ्ट लेने के लिए सरकार को सूचना देनी पड़ती है।

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