भारत इन दिनों तरक्की के नए आयामों को छू रहा है। कुछ दिनों पहले ही ख़बर आई थी कि भारत आर्थिक मामलों में चीन से आगे निकल रहा है लेकिन अब अमेरिका के दो परमाणु वैज्ञानिकों की मानें तो भारत टेक्नोलॉजी के मामले में भी चीन से आगे निकलने के प्रयास कर रहा है। भारत अब एक ऐसी मिसाइल बना रहा है जो दक्षिण बेस से चीन को निशाना बना सके।
अमेरिका के दो वरिष्ठ परमाणु विशेषज्ञों की ओर से जारी एक ऑनलाइन मैग्जीन के लेख में यह दावा किया है कि ‘‘भारत एक एक ऐसी मिसाइल बना रहा है जो कि दक्षिण भारत के अपने बेस से पूरे चीन को निशाना बना सकती है।” ’इंडियन न्यूक्लियर फोर्स 2017’ शीर्षक वाले अपने लेख में हेंस एम क्रिस्टिनसन और रॉबर्ट एस नॉरिस ने लिखा है, “अनुमान के मुताबिक भारत के पास 150 से 200 न्यूक्लियर वॉरहेड बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्लूटोनियम है लेकिन संभवतः उसने 120 से 130 वॉरहेड का ही निर्माण किया है।” दोनों विशेषज्ञों ने दावा किया है कि परंपरागत रूप से पाकिस्तान पर आधारित भारत की परमाणु रणनीति में अब चीन पर ज्यादा जोर दिया जाने लगा है।
नए मिसाइल सिस्टम विकसित करने पर जोर
लेख में कहा गया है कि भारत का ध्यान पारंपरिक रूप से पाकिस्तान से अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार विकसित करने पर रहा है, लेकिन उसका परमाणु आधुनिकीकरण इसका संकेत है कि वह चीन के साथ भविष्य के सामरिक संबंधों पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत के पास 7 परमाणु सक्षम प्रणाली हैं। इनमें विमान से संचालित होने वाली 2, जमीन से संचालित होने वाली 4 और समुद्र से मार करने में सक्षम एक बलिस्टिक मिसाइल सिस्टम हैं। लेख में कहा है कि कम से कम 4 और प्रणालियों पर काम चल रहा है और उन्हें तेजी से विकसित किया जा रहा है। उनके अगले दशक तक तैनात होने की संभावना है।