पीएम मोदी के इजराइल दौरा पूरी दुनियाभर में सुर्खियों में है। इस दौरे से पीएम मोदी ने जहां इजराइल के साथ भारत का रिश्ता मजबूत किया है वहीं पड़ोसी देशों में भी इस बात को लेकर चर्चाएं हो रही है। पीएम मोदी ने इजराइल में एक ऐसी डिफेंस डील की है जिससे चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई है।
भारत के लिए अहम ये ड्रोन
दरअसल, भारत इजरायल से 10 हेरोन टीपी ड्रोन खरीदने जा रहा है। यह ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल से लैस है। इसे किलर ड्रोन भी कहा जाता है। इसकी मारक क्षमता को देखते हुए इसे भारत के लिए अहम माना जा रहा है। भारत इस ड्रोन की मदद से न केवल पाक अधिकृत इलाकों में आतंकी कैम्पों को नेस्तनाबूद कर सकता है बल्कि वहां छिपे आतंकियों पर भारत से ही निशाना लगाया जा सकता है।
30 घंटे तक उड़ने में सक्षम
हेरोन टीपी ड्रोन की तुलना अमेरिका के प्रिडेटर और रीपर ड्रोन से की जाती है। यह लगातार 30 घंटे तक उड़ने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें लगे कैमरे खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में माहिर हैं। हवा से ही आतंकी ठिकानों की पहचान की जा सकती है और उस पर निशाना लगाकर उसे ध्वस्त किया जा सकता है। यह ड्रोन किसी भी मौसम में एक टन वजन उठाकर 45000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसे उड़ाने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि एक कंट्रोल रूम में बैठा ऑपरेटर ही इसे कंट्रोल कर सकता है। यह ड्रोन 370 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
टारगेट पर लगाएगा सटीक निशाना
करीब 400 मिलियन डॉलर के इस रक्षा समझौते को रक्षा मंत्रालय ने साल 2015 में मंजूरी दी थी। इसके बाद फरवरी 2015 में बेंगलुरू में एयरो इंडिया शो में इस ड्रोन को प्रदर्शित किया गया था। इस ड्रोन की सबसे बड़ी कासियत यह है कि यह पहले टारगेट खोजता है, फिर उस पर निशाना लगाता है। इसके बाद वह हवा से ही निशाना लगाकर मिसाइल से जमीन पर के टारगेट को ध्वस्त कर देता है। फिलहाल भारत के पास जो ड्रोन हैं उनमें यह काबिलियत नहीं है। भारत के पास मौजूदा ड्रोन जब तक टारगेट की पहचान करते हैं और निशाना लगाने की कोशिश करते हैं तब तक टारगेट गायब हो जाता है।
हेरोन ड्रोन को भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा पर निगरानी के लिए तैनात किया जा सकता है। इजरायली ड्रोन ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इजरायल का एयरोस्पेस इंडस्ट्री इस तरह के खास ड्रोन को डिजायन और डेवलप करने के लिए दुनियाभर में मशहूर है। घरेलू कम्प्यूटर के मामले में भी इजरायल दुनिया में अव्वल है। मोटोरोला ने पहला फोन भी यहीं बनाया था।