अलग पार्टी बनाकर न दिखा पाए कमाल, लौट कर बुद्धू घर को आए
कल्याण सिंह
बीजेपी के यूपी में सीएम के तौर पर मजबूत चेहरा रहे कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस के हीरो रहे हैं। इन्होंने पार्टी से बगावत कर ली। पार्टी से अलग होने के बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी (राकांपा) का गठन किया। पार्टी चुनाव भी लड़ी, लेकिन चुनाव में राकांपा को महज 4 सीट ही मिली। इसके बाद लगातार हाशिए पर जाने की वजह से अंत में घर वापसी की।
एनडी तिवारी
प्रदेश की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का सक्रिय चेहरा रहे पूर्व सीएम और पूर्व गर्वनर रह चुके एनडी तिवारी को विकास पुरूष की संज्ञा दी जाती है। 1990 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव को पीएम बनाए जाने से नाराज़ होकर इन्होंने अलग पार्टी ऑल इंडिया कांग्रेस (तिवारी) बनाई। लेकिन राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रहे एनडी तिवारी ने समय की नब्ज को पहचान कर बिगड़ने से पहले कांग्रेस में पार्टी का विलय कर दिया।
आरके चौधरी
बीएसपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे आरके चौधरी बीएसपी सरकार में मंत्री रहे हैं। पार्टी में नंबर दो की हैसियत को लेकर वर्चस्व की छिड़ी लड़ाई में बीएसपी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। बसपा से अलग होने के बाद राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी का गठन किया। लेकिन लगातार दो चुनावों में हार को देख सियासी ताकत को भांप कर फिर घर वापसी की।
प्रणब मुखर्जी
बहुत कम लोग जानते हैं कि इंदिरा गांधी के विश्वसनीय प्रणब मुखर्जी के जीवन में ऐसा भी समय आया था, जब उन्हें कांग्रेस का दामन छोड़ना पड़ा था। दरअसल, राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो अपने करीबी लोगों के प्रभाव में आकर प्रणव मुखर्जी को पार्टी से निष्कासित दिया था, जिसके बाद प्रणब मुखर्जी ने खुद की पार्टी राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस बनाई। प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में खुलासा किया है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद डरे हुए राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार नहीं थे। तब प्रणब मुखर्जी ने राजीव को तैयार किया यह कह कर कि हम सब आपके साथ हैं। हालांकि उस दौरान कहा गया कि प्रणब मुखर्जी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।