अब नवाज शरीफ पर अपनी कुर्सी छोडऩे का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तानी वकीलों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा घोटाले से इस्तीफा देने के लिए सात दिन का समय दिया है। वकीलों का कहना है कि अगर वे इस्तीफा नहीं देते तो उनके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और लाहौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का मानना हे कि पनामा पेपर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अब अपना पद छोड़ देना चाहिए। बयान में साफ कहा गया है कि पनामा मामले में शरीफ और उनके बच्चों ने भ्रष्टाचार किए हैं।
जांच के लिए जेआईटी का गठन भी किया गया है। अगर वे 27 मई तक इस्तीफा नहीं देते , तो पूरे पाकिस्तान में वकील अपना आंदोलन शुरू करेंगे। प्रधानमंत्री के खिलाफ आंदोलन शुरू करने से रोकने के लिए पीएमएल-एन केसमर्थकों से वकीलों की झड़प भी हो गई। वकीलों ने हाईकोर्ट की लाइब्रेरी में एससीबीए के अध्यक्ष रशीद ए रिजवी को लॉक कर दिया। रिजवी को तब बाहर निकाला गया जब एससीबीए के सदस्यों ने लाइब्रेरी के ताले तोड़े। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाया गया। बाद में रिजवी के नेतृत्व में वकीलों ने नवाज शरीफ के खिलाफ रैली निकाली।
बता दें कि 20 अप्रैल को पनामा पेपर में भ्रष्टाचार के मामले में नवाज शरीफ को आरोपी करार दिया गया था। विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि शरीफ अपनी संपत्ति का ब्यौरा और सोर्स बताने में असफल रहे हैं। उनके अनुसार उन्होंने और उनके परिवार ने कुछ भी गलत नहीं किया है। लेकिन अगर शरीफ ने अब पद नहीं छोड़ा तो आंदोलन होना तय है।
मामले की शुरूआत 3 नवंबर को हुई थी और कोर्ट ने 23 फरवरी को कार्यवाही पूरी करने से पहले 35 सुनवाई की थीं। यह मामला लंदन में शरीफ के परिवार की कथित अवैध संपत्ति के बारे में पाकिस्तमान तहरीह-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान अन्य की कई एक जैसी याचिकाओं पर आधारित है। ये संपत्तियां तब सामने आई थीं जब लीक दस्तावेजों को एक संग्रह पनामा पेपर्स में दिखाया गया कि उनका प्रबंधन शरीफ के परिवार के मालिकाना हक वाली विदेशी कंपनी करती थी। याचिकाओं में न्यायालय से अपील की गई कि भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण 67 वर्षीय शरीफ को अनुच्देद 62 और 63 के तहत अयोग्य करार दिया जाए।