आमतौर पर आप खाने के लिए कटलरी का इस्तेमाल करते हैं। जिस कटलरी का आप इस्तेमाल करते हैं, उसमें खाकर आप उसे साफ करके रख देते हैं। या आजकल डिस्पोजल का भी उपयोग किया जाने लगा है, जिसमें खाने के बाद उसे फेंक दिया जाता है। लेकिन ये कटलरी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि ये जमीन में डिकंपोज नहीं होती। पर्यावरण को इसके नुकसान से बचाने के लिए एक इंडस्ट्रीलिस्ट ने एडिबल कटलरी बनाई है, मतलब ऐसी कटलरी जिसे आप खा भी सकते हैं। हैदराबाद के इंडस्ट्रीलिस्ट नारायण पीसापति ने प्लास्टिक की चम्मच और प्लेटों की जगह ऐसी ही कटलरी डवलप की है, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल होने के साथ ही स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। उनकी कटलरी की खासियत ये है कि ये खाद्य पदार्थों से बनी है और इन चाकू, चम्मच और प्लेटों को इस्तेमाल करने के बाद खाया भी जा सकता है।
इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट , हैदराबाद के पूर्व वैज्ञानिक नारायण पीसापति ने प्लास्टिक से बनी चम्मच और प्लेटों से निजात दिलाने के लिए एक ऐसी कटलरी डवलप की है। आमतौर पर बाजारों में बिकने वाली प्लास्टिक की कटलरी से पर्यावरण को भी भारी नुकसान होता है।
जानिए इनोवेटिव आइडिया की कहानी-
नारायण इस तरह की कटलरी करीब एक दशक से बना रहे हैं। नारायण बताते हैं कि जब वे फील्ड विजिट पर होते थे उन्हें बाजार की ठंडी रोटी से ही काम चलाना पड़ता था। वह कहते हैं कि प्लास्टिक चम्मच बहुत साफ सुथरी और अच्छी कंडीशन में नहीं बनाई जातीं। इसलिए इससे खाना खाने से बहुत से कैमिकल हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
नारायण ने 2006 में एडिबल कटलरी के बारे में सोचा। उनके दिमाग में सबसे पहले यह बात आई की बाजरा बहुत ही स्वादिष्ट है। इसके बाद उन्होंने इससे कटलरी बनाने का फैसला किया। उन्होंने अपनी कंपनी बेकीस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरूआत की। नारायण की कंपनी बेकीस को देश में और बाहर से पहले से ही 2.5 करोड़ चम्मच और दूसरी तरह की कटलरी बनाने के ऑर्डर मिल चुके हैं।
प्लास्टिक से है सस्ती-
नारायण ने कहा कि उनकी खास कटलरी बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक और लकड़ी से बने डिस्पोजल कटलरी की तुलना में सस्ती पड़ती है। इसकी कीमत 2.75 रूपए प्रति ईकाई पड़ती है। यह कटलरी मसालेदार से लेकर मीठे स्वाद में भी उपलब्ध है। उन्होंने चीनी , अदरक और कालीमिर्च, का इस्तेमाल कर इसे स्वादिष्ट भी बनाने की कोशिश की है। इस कटलरी को तैयार करने के बाद हाई टेंपरेचर पर सेंका जाता है। पूरी तरह सूखने के बाद इस टेकनीक से बने चम्मच और चाकू-कांटे इतने सख्त हो जाते हैं कि गर्म सूप और अन्य पीए जाने वाले ड्रिंक्स के साथ भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। खैर नारायण पीसापति का ये इनोवेटिव आइडिया काम कर रहा है और काफी लोग इस आइडिया को सराह रहे हैं।