समाज चाहे कोई भी हो, प्राय: देखा जाता है कि सभी के अपने-अपने रीति-रिवाज, परंपराएं, मान्यताएँ हैं और इनके साथ ही हैं कुछ अंधविश्वास भी। आमतौर पर एशियाई देशों के लोगों को अंधविश्वासी माना जाता है लेकिन सच यही है कि अत्याधुनिक कहे जाने वाले पाश्चात्य देश भी कुछ गहरे अंधविश्वासों पर मजबूत विश्वास रखते हैं। जिनमें से बहुत से अंधविश्वासों के उद्भव के कारण का भी पता नहीं है। भारत में भी लोगो में कई भ्रम हैं और लोग बिना जाने समझे अंधश्रद्धा में विश्वास करते हैं।
भारतीय अंधश्रद्धा क्या हैं और क्यों भारतीयों ने अंधविश्वासी धारणा पर विश्वास किया है? ऐसे कितने ही सवाल हैं अंधविश्वास को लेकर। अंधविश्वास ज्ञान और शिक्षा की कमी ही हो सकती है और कुछ भी नहीं। भारत में 278 मिलियन से अधिक लोग निरक्षर हैं। इसलिए, ऐसे देश में अंधविश्वासी धारणा ज्यादा संवेदनशील है। यहाँ अंधश्रद्धा सिर्फ कुछ विश्वासों को लेकर नहीं है बल्कि ईश्वर के रूप में इंसानों को पूजने को लेकर भी है और आश्चर्य यह है कि पढ़े लिखे और यहाँ तक की राजनीतिक पदों और अन्य बड़े पदों पर विराजमान लोग भी इन सब बातों पर अपना विश्वास रखते हैं।
आइए कुछ उदाहरणों की मदद से स्थिति से परिचित हो जाओ।
नींबू और मिर्ची
भारत में हर दुकान, प्रतिष्ठान के बाहर आपने नींबू-मिर्च लटकते अवश्य देखा होगा। अपने व्यवसाय को बुरी नजर से बचाने केे टोटके के रूप में इसका चलन आम है। हमारे यहां नींबू मिर्च का जोड़ इतना लोकप्रिय है कि इसने भी अलग से एक छोटे से व्यवसाय का रूप ले लिया है। हर कोई ये जानता है कि दरवाजे पर नींबू मिर्च लटकाना व्यापार के लिए शुभ है। इतना ही नहीं, अगर आप सड़क पर पड़ा नींबू और मिर्च देखते हैं, तो आपको चेतावनी दी जाती है कि उस पर कदम न रखे। ऐसा करने से कुछ बुरा होता है। यह विचारधारा किसी को सामान्य रूप से जीवन के बारे में आशावादी बनाने में मदद कर सकती है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है।
काली बिल्ली का रास्ते को काटना-
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब आप एक सड़क पर चल रहे हैं और एक काली बिल्ली आपके रास्ते को पार कर जाती है, तो इससे आपके जीवन में शैतान का भाग्य आता है। यह भारत में एक बहुत बड़ा मिथक है बिल्लियों और काली बिल्लियों को लेकर। भारत में इस अंधविश्वास की उत्पत्ति मिस्र से हुई है मिस्र के मनोविज्ञान के अनुसार, काली बिल्लियों “चुड़ैलों” के समान होती हैं और एक बिल्ली की काली त्वचा बुरी होती हैं
आँख का फड़कना-
इस मिथक के सम्बन्ध अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में अलग-अलग हैं। भारत में, विशेष रूप से, यह दुर्घटना का प्रतीक है यहां, बायीं आंख का फड़कना बुरी किस्मत मानी जाती है। यह मिथक पुरुषों में अलग और महिलाओं में अलग माना जाता है इस में भी लिंगभेद है,पुरुषों की बाईं आँख का फड़कना दुर्भाग्य के रूप में दर्शाता है और दूसरी तरफ, एक महिला के लिए यह किस्मत का संकेत देता है व्यावहारिक रूप से, तनाव, और ड्राई आंख जैसे कारण हो सकते हैं आंखों के फड़कने के पीछे या अन्य कई जैविक आधार भी हो सकते हैं।
बुरी नजर का फेर
यह शायद सबसे आम मिथक है जिसे आप भारत में सुनना पसंद करते हैं। आजकल, न सिर्फ भारतीयों बल्कि पूरे विश्व के लोगों ने भी इसे माना जाने लगा है। भारत में, बुरी नजर को किसी भी व्यक्ति को पीड़ा पहुंचा सकती है ऐसा नज़रिआ होता है। बुरी नजर से अलौकिक नुकसान होता है ऐसा माना जाता है जो कि किसी बीमारी या फिर किसी दुर्भाग्य के रूप में आ सकता है। खासकर बच्चों को बुरी नज़र से बचाने के लिए काला टीका (एक काली पदार्थ) लगाया जाता है।
टूटा हुआ कांच-
यह अंधविश्वास अलग-अलग संस्कृतियों में भी भिन्न होता है। कहीं पर यह अच्छा संकेत माना जाता है, लेकिन भारत में, टूटे दर्पण या कांच को दुर्भाग्य का प्रतीक मानते हैं और यह भी एक अभिव्यक्ति है कि एक दर्पण आपका बाहरी आवरण का प्रतिबिंबित नहीं दिखाता बल्कि आत्मा को भी प्रतिबिंबित करता है और एक टूटे दर्पण में आत्मा और शरीर का प्रतिबिंब देखना अशुभ माना जाता है। टूटा गिलास एक दुर्भाग्य के रूप में समझा जाता है और इसे घर से जल्द से जल्द फेंकने को कहा जाता है। एक विश्वास यह है कि टूटे कांच से घर पर नकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार और दोस्तों के बीच झगड़े और विरोध का कारण बनती है। तार्किक रूप से देखा जाए ,तो टूटा कांच असुरक्षित हो सकता है और इसीलिए इसे बाहर फेंकने को कहा जाता है ताकि इसके कारण किसी को चोट ना पहुँचे।