नोटबंदी के फैसले का शिक्षण संस्थानों पर पड़ा असर, नहीं ले सकेंगे कैपिटेशन फीस
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जब से नोटबंदी की गई है देश में कई तरह के बदलाव आए है। देश की बैंकों में करोड़ो रूपए अभी तक जमा किए जा चुके है वहीं इससे काफी हद तक तिजोरियों और कमरों में रखे हुए कालेधन पर भी लगाम लगाई जा सकी है। नोटबंदी के इस फैसले का असर शिक्षण संस्थानों पर भी हुआ है। उन्हें अब उम्मीदवारों से अतिरिक्त शुल्क लेने में दिक्कतें आएंगी।
देश के एजुकेशन सिस्टम में नर्सरी से लेकर उच्च शिक्षा एडमिशन में कैपिटेशन फीस यानी अतिरिक्त शुल्क का प्रचलन है। लेकिन नोटबंदी के बाद अब इस पर लगाम लगाई जा रही है जिसका सीधा-सीधा फायदा होनहार स्टूडेंट्स को मिलेगा। लोगों का मानना है कि सरकार के इस कदम की वजह से मेधावी छात्रों को सहूलियत हो सकेगी। इस कदम का असर रियल इस्टेट बिजनेस पर सीधा-सीधा पड़ेगा। संस्थानों को अब मैनेजमेंट कोटे के तहत सीटें बेचने में दिक्कत आएगी।
करोड़ों में बेची जाती थी सीटें
केरल में प्रोफेशनल कॉलेज की श्रृंखला चलाने वाले राजु डेविस पेरेपादन कहते हैं कि नोटबंदी का सीधा असर इस सेक्टर पर पड़ेगा। वे कहते हैं कि अलग-अलग कोर्स और स्पेशलाइजेशन के हिसाब से सीटें 2 लाख से 2 करोड़ तक बेची जाती रही हैं। वे आगे कहते हैं कि डठठै की एक सीट 40 लाख से 60 लाख तक बिकती है और एमडी (मास्टर्स ऑफ मेडिसिन) की एक सीट 2 करोड़ तक बिकती रही है। ठीक उसी तरह इंजीनियरिंग की सीटों का रेट 2 लाख से 10 लाख तक के बीच रहा है।
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