अगर आप अक्सर रेलवे रिजर्वेशन के लिए ई-टिकट खरीदते हैं, तो जरा ध्यान दें। जल्द ही ई-टिकट महंगा होने जा रहा है। हाल ही में इंडियन रेलवे ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से कहा है कि उसे ऑनलाइन रेल टिकट पर सर्विस चार्ज फिर से लगाने की इजाजत दी जाए। जबकि रेलवे का यह भी कहना है कि वह तो पहले से ही डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की छूट दे रहा है, इसलिए ऑनलाइन रेल टिकट पर सर्विस चार्ज की छूट को 30 जून से आगे न बढ़ाया जाए। अगर फाइनेंस मिनिस्ट्री इस बात को स्वीकार कर लेती है तो पैसेंजरों को ऑनलाइन टिकट खरीदने पर सर्विस चार्ज देना पड़ सकता है और अगर इसी बीच जीएसटी लागू हो जाता है तो एसी क्लास के पैसेंजरों को पहले की बजाय आधा फीसदी ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। अभी एसी क्लास में सफर करने वालों को 4.5 फीसदी ही टैक्स देना होता है, जबकि जीएसटी लागू होने पर ये पांच फीसदी हो जाएगा।
आपको बता दें कि इससे पहले रेल बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने ऑनलाइन रेल टिकट पर सर्विस चार्ज हटाने का ऐलान किया था हालांकि उस वक्त उन्होंने ये तय नहीं किया था कि ये छूट कुछ समय के लिए हटाई जा रही है या सालभर के लिए। अब वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद ऑनलाइन टिकट पर सर्विस चार्ज हटाने से रेलवे और आईआरसीटीसी को हर महीने लगभग 40 करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इंडियन रेलवे के एक अधिकारी ने बताया है कि रेलवे पहले से ही डिजिटल ट्रांजेक् शन के लिए के लिए पैसेंजरों को कई तरह की छूट दे रही है। इनमें ऑनलाइन टिकट खरीदने पर दस लाख के बीमा की सुविधा , आटोमेटिक वेंडिंग मशीन के जरिए टिकट लेने पर पांच फीसदी , मंथली सीजन टिकट ऑनलाइन लेने पार आधा फीसदी और ई-केटरिंग के जरिए सामान खरीदने पर पूरे पांच फीसदी की छूट दी जा रही है।
कंपनी पर ये पड़ेगा असर-
दरअसल, जिस सर्विस चार्ज को एक बार फिर लगाने की मांग हो रही है, जिससे किराया भी बढऩे की पूरी उम्मीद है , उसके तहत ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने पर एसी क्लास के लिए 40 रूपए और नॉन एसी क्लास के लिए 20 रूपए का शुल्क लिया जाता है। लेकिन जिस बड़े पैमाने पर टिकट बुक होते हैं, उसी से ही आईआरसीटीसी को लगभग पांच सौ करोड़ की आमदनी होती है। जिसमें से आधा हिस्सा रेलवे को दिया जाता है।