इस समय दुनिया में एक ऐसा दौर चल रहा है जहां अधिकतर देश एक दूसरे पर युद्ध करने की धमकी दे रहे हैं। भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ विवाद चल रहा है तो वहीं अमेरिका का नॉर्थ कोरिया के साथ चल रहा है। भारत में हर व्यक्ति चाहता है कि वो देश की सेवा करें बॉर्डर पर दुश्मनों का सफाया करे लेकिन आर्मी में हर किसी का सिलेक्शन नहीं होता।
जिस युवा के अंदर जज्बा होता है वो ही आर्मी में भर्ती हो पाता है। वैसे आर्मी में भर्ती होने के भी अपने मापदंड है जो हर कोई पूरे नहीं कर पाता। खैर हम आपको आज एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां औसतन हर घर से एक युवा सेना में भर्ती होकर देश की सीमाओं की रक्षा कर रहा है।
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले का मुस्लिमबहुल एक ऐसा गांव हैं, जहाँ के औसतन हर घर से एक युवा सेना में भर्ती होकर देश की सीमाओं की रक्षा कर रहा है। मुरैना जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर काजीबसई 817 परिवारों वाला गांव है। यहां 700 परिवार मुस्लिम समुदाय के हैं और इस समुदाय के प्रत्येक घर से एक या इससे अधिक युवा सेना में हैं।
सेना से सेवानिवृत सूबेदार मेजर हाजी मोहम्मद रफीक ने बताया कि सन 1914 से लेकर अभी तक हुये हर युद्ध में यहां के युवा सेना में कार्यरत रहकर शामिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव के युवक वर्तमान में जम्मू कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सहित अन्य स्थानों पर तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि गांव के मोहम्मद हबीब शाह, हाजी मोहम्मद अब्बास, रहीसुद्दीन, मोहम्मद गफूर, मोहम्मद शकील मोहम्मद शाबिर व मोहम्मद नाशिर को बहादुरी के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। सेना से सेवानिवृत काजी मोहम्मद अशरफ के मुताबिक 1914 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी गांव के दो युवक उसमें शामिल हुए थे। इसके बाद हर युद्ध में गांव के युवकों ने अपना पराक्रम दिखाया। गांव के युवा सेना के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल और राज्य पुलिस में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।