अभी कुछ दिनों पहले ही सनी लियोन माँ बनने को लेकर चर्चा में थीं और लोगों की काफी दिलचस्पी थी की सनी कैसे माँ बनेंगी, माँ बनने के लिए सनी लियोन ने एक बच्ची को गोद लिया था लेकिन गोद लेने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और सुनी को केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) ने प्री अडाप्शन के रूप में बच्ची गोद दे दी। अब इस पूरे मामले पर विवाद बना हुआ है। प्री अडाप्शन में फिल्म एक्ट्रेस सनी लियोनी को दी जाने वाली बच्ची के इस मामले में केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (कारा) द्वारा जे जे एक्ट का उल्लंघन किया गया है। साथ ही कारा ने प्री अडाप्शन के बाद ही सनी लियोन की तारीफ़ करते हुए उनके साथ बच्ची का फोटो ट्विटर पर अपलोड करते हुए बच्ची के संबंध में रंग भेद और अपमानजनक टिप्पणी की थी। जो अब बड़ा विवाद बन गया है।
क्या है कारा?
केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। यह भारतीय बच्चों को गोद लेने और अनिवार्य निगरानी तथा देश और अंतरदेशीय में गोद देने को विनियमित करने के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता है।
सनी लियों पर मामला- कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के दौरान ही बच्ची का फोटो सार्वजनिक करने पर सनी लियोनी पर भी मामला बनता है। इस पूरे मामले का विरोध जे जे एक्ट की क्रियान्वयन के लिए बनाई गई राज्य बाल संरक्षण समिति ने किया है। इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रीय बाल आयोग और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मेनका गांधी को शिकायत की। मामले को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। आयोग ने भी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास सचिव से जांच रिपोर्ट मांगी है। मेनका गांधी ने भी जे जे एक्ट का उल्लंघन करने वाले अधिकारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रकार का ये पहला मामला है देश में जिसमें आयोग ने जे जे एक्ट के उल्लंघन करने वाली कारा के विरुद्ध नोटिस जारी किया है। दरअसल बच्ची के संबंध में मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
कारा की अपमानित, व नस्लभेद टिप्पणी- फिल्म अभिनेत्री सनी लियोनी ने 30 सितंबर 2016 को कारा की वेबसाइट पर एक बच्ची गोद लेने के लिए ऑन लाइन आवेदन किया था। आवेदन स्वीकार होने के बाद नियमानुसार 31 जून 2017 को बच्ची और सनी लियोनी की मिलवाया गया और फिर कोर्ट में गोद दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। कोर्ट में प्रकिया पूर्ण रूप से संपन्न होने के पहले ही कारा ने सनी को बच्ची प्री अडाप्शन फास्टर केयर के अंतर्गत दे दी, और फिर 4 अगस्त 2017 की सुबह 10। 47 मिनट पर फास्टर केयर में सनी को बच्ची दिए जाने का फोटो अपलोड करते हुए बच्ची की निजता भंग कर उसके विषय में रंग भेदी और अपमानजनक टिप्पणी की। जिसमें कहा गया कि जिस बच्ची को 11 परिवार रिजेक्ट कर चुके उसे अभिनेत्री सनी लियोनी ने स्वीकारा। कारा के सीईओ दीपक कुमार ने एक कदम आगे बढ़ कर बच्ची के रंग पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि लियोनी ने बच्ची के रंग और उसके स्वास्थ्य को अनदेखा करते हुए उसे स्वीकारा।
कारा के खिलाफ हो सख्त कार्यवाही– जे जे एक्ट के क्रियान्वयन के लिए बनाई गई राज्य बाल संरक्षण समिति के सदस्य मप्र बाल आयोग के पूर्व सदस्य विभांशु जोशी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। जोशी का कहना है कि बच्ची के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का अधिकार किसी को नहीं है, खासतौर पर रंग भेद को लेकर। वहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ज्वाइन सेक्रटरी जे जगत नाथपति को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है जे जे एक्ट और सजा- जानकारों के अनुसार कारा और सनी लियोनी ने जे जे एक्ट 2015 की धारा 3 और धारा 74 का उल्लंघन किया है। इस पूरे मामले में गोद ली गई बच्ची की प्राइवेसी और गरिमा का हनन हुआ है। साथ ही एक पूरा मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन भी है इसलिए बच्ची का फोटो प्रकाशित नहीं किया जा सकता हैं। इस एक्ट के अनुसार लीगल फ्री होने से पहले बच्चे का फोटो प्रकाशित किया जा सकता है लेकिन सिर्फ एक सूरत में कि उस फ़ोटो के माध्यम से बच्चे के जैविक माता-पिता को ढूंढा जा सके। लीगल फ्री होने के बाद बच्चे की निजता और गरिमा को बनाए रखने के लिए पहचान को गोपनीय रखने का प्रावधान है। जे जे एक्ट की धारा-3 और धारा 74 का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ 2 लाख का जुर्माना और 6 से 1 साल तक की सजा या दोनों हो सकती है।