विभिन्न मांगों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के आंदोलन के बीच कल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक किसान संगठन ने इस संकट के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें अविवेकपूर्ण बताया।
भारतीय किसान संघ (BKS) के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि किसान केंद्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि उन्हें फसलों और कृषि उत्पादों के अधिक मूल्य मिलने चाहिए।
किसान को सरकार ने अपनी प्राथमिकता में नहीं रखा
मिश्रा ने PTI से चर्चा में कहा कि केंद्र सरकार को किसानों से अधिक चिंता इस बात की है कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ता प्रभावित हो रहे हैं। किसान को सरकार ने अपनी प्राथमिकता में नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि सम्बंधित सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं, तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य ही क्यों मिलना चाहिए?
पहले दाल की खेती को प्रोत्साहित किया, फिर इसका आयात कर लिया
मिश्रा ने कहा कि सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30% अधिक हो। उन्होंने दालों का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले इसकी खेती को प्रोत्साहित किया और फिर सस्ती दालों का आयात किया। उन्होंने कहा कि इन विसंगतियों के ही परिणाम हैं कि आज किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं।
गेहूं पर आयात-कर कम कर दिया जबकि इस साल देश में ही बंपर फसल हुई
मिश्रा ने कहा कि सरकार ने गेहूं पर आयात-कर कम कर दिया जबकि इस साल देश में ही बंपर फसल हुई थी।
15 जून से किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ बेमियादी धरना
हालांकि मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन पर मिश्रा ने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट ‘कुछ उपद्रवी’ तत्वों द्वारा रचा गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि किसान निराश हैं क्योंकि सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि BKS 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर सरकार की ‘‘किसान विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।