देवाताओं और राक्षस के युद्ध की तो कई कहानियां आपने सुनी होंगी। रामायण और महाभारत के युद्ध की कहानी के बारे में भी सब लोग जानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच भी कभी भयंकर युद्ध हुआ था। बहुत ही कम लोगों को ये पता है कि इन दोनों के बीच भी युद्ध हुआ था।
ये कहानी भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से जुड़ी हुई है। प्रह्लाद की रक्षा के लिए विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण करके हिरण्यकश्यप का वध अपने पंजे से कर दिया। लेकिन भक्त पर हुए अत्याचार से नाराज नरसिंह पूरी सृष्टि के विनाश के लिए उतारु हो गए। उन्होंने समस्त देवताओं यहां तक कि ब्रह्माजी और लक्ष्मीजी की प्रार्थना भी अस्वीकार कर दी।
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तब सृष्टि की रक्षा के लिए महादेव ने अपने गण वीरभद्र को भेजा। वीरभद्र ने नरसिंह रुपी विष्णु को उनका असली स्वरुप याद दिलाने का प्रयास किया। लेकिन मोहग्रस्त नरसिंह ने एक न सुनी।
तब महादेव ने संसार की रक्षा के लिए शरभ अवतार धारण किया। जो वीरभद्र, गरुड़ और भैरव का सम्मिलित स्वरुप था। उसके आठ शक्तिशाली पंजे और शक्तिशाली पंख थे।
शरभ रूप में एक पंख में वीरभद्र एवं दूसरे पंख में महाकाली स्थित हुए, भगवान शरभ के मस्तक में भैरव एवं चोंच में सदाशिव स्थित हुए और शरभ रूपी शिव ने भगवान नरसिंह को अपने पंजों में जकड़ लिया और आकाश में उड़ गये।
शिव अपनी पूंछ में नरसिंह को लपेटकर उसकी छाती में चोंच का प्रहार करने लगे। फिर उन्होंने अपने पंजों से उसकी नाभि को चीर दिया। इससे नरसिंह का मोह नष्ट हो गया। उसका तेज अलग होकर महाविष्णु के रुप में प्रकट हुआ।
नग्न थे शिव, श्रीहरि ने पहनाए थे वस्त्र
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