आज की बढ़ती आधुनिकता की वजह से सभी की लाइफ भागमभाग वाली हो गई है और इस आधुनिकतावाद ने सुपरमार्केट का चलन भी खूब चला दिया है। आपकी जरुरत का हर सामान एक छत के नीचे मिल जाता है, फिर वो रोज के फल और सब्जियां ही क्यों न हों। सुपर मार्केट्स के अपने फायदे और नुकसान हैं लेकिन हम यहाँ उनकी बात नहीं करेंगे, हम यहाँ सुपर मार्केट से जुडी एक छोटी सी लेकिन सेहत से जुड़ी बहुत जरुरी बात पर चर्चा करेंगे।
हम सभी कभी न कभी या फिर रोज सुपर मार्केट से खरीददारी करते ही हैं और जब भी आप किसी सुपरमार्केट से फलों की ख़रीददारी करते होंगे तो फलों के ऊपर चिपके एक फ़ूड लेबल पर आपका ध्यान जरुर जाता होगा। फ़ूड लेवल को देख कर कुछ लोगो के दिमाग में तो सवाल आते होंगे, पर जवाब नहीं मिला होगा या खोजने की कोशिश नहीं की होगी, और कुछ लोग तो बिना सोचे समझे कि फ़ूड लेवल क्या है और क्यों लगाया गया है, फलों को खरीद कर घर ले आते होंगे, पर यह सही नहीं है। फ़ूड लेवल को बिना समझे फलों को खाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।
आखिर फलों पर चिपके उस कोड का मतलब है क्या और उसे क्यूँ चिपकाया गया है? इस सवाल का जवाब आपको यहाँ मिल जायेगा और आगे भविष्य में आप फलों को ख़रीदते समय सावधान रहेंगे। फलों पर लगाये गए इस लेबल पर दाम और इसके एक्सपायरी डेट के अलावा एक पीएलयू कोड भी होता है और उस पीएलयू (Price look-up code) कोड से, आप जो भी फल खरीद रहे हैं उसके बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। बस कुछ नंबर याद रखने होंगे अपनी अच्छी सेहत के लिए।
आइये जानते हैं क्या मतलब है इन नंबर्स का-
- लेबल पर दिखने वाले पीएलयू कोड में अगर सिर्फ 4 डिजिट हैं तो यह बताता है कि उस फल को उगाने में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हुआ है।
- पीएलयू कोड के आखिरी चार अक्षर यह दिखाते हैं कि जो प्रोडक्ट आप खरीद रहें है वो फल है या सब्जी। यदि पीएलयू कोड 3 या 4 से शुरू हो रहा है तो इसका मतलब है कि इस प्रोडक्ट को पारंपरिक तरीके से उगाया गया है।
- अगर फ़ूड लेवल पर दिखने वाले पीएलयू कोड का पहला नंबर 8 है, तो इसका मतलब है कि प्रोडक्ट को जेनेटिकली मॉडिफाइड किया गया है।
- अगर पांच डिजिट का कोड दिया गया है और उसका पहला अंक 9 है तो इसका मतलब है कि प्रोडक्ट पूरी तरह आर्गेनिक है।
तो अबसे अगर फलों की ख़रीददारी करें तो इन नंबर्स को याद रख कर करें ताकि आप अपनी और अपने परिवार की सेहत का सही और जागरूक तरीके से ख्याल रख सकें। रोज फल जरुर खाए लेकिन सावधानी के साथ बिना केमिकल और पेस्टीसाइड वाले आर्गेनिक फलों का सेवन करें।