देश के सबसे पुराने राष्ट्रीय पार्क, “नेशनल जिम कॉर्बेट” जो “बंगाल टाइगर” की संरक्षा और पशु विहार के लिए मशहूर है, जो हमेशा ही पर्यटकों को आकर्षित करता है और अब उत्तराखंड के वन विभाग एवं रामनगर की एक पर्यावरण प्रेमी संस्था के संयुक्त प्रयास से यहाँ आने वाले पर्यटक और वन्य जीव प्रेमियों को वन्य जीवों के साथ-साथ दुर्लभ पशु-पक्षी, कीट पतंगों एवं दुर्लभ प्रजाति की तितलियों को देखने का मौका भी मिलेगा।
उत्तराखंड के रामनगर की पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली जानीमानी संस्था कल्पतरु ने वन विभाग के साथ मिलकर यह सब विकसित करने का काम किया है. इस संस्था के प्रयास से यहां आने वाला पर्यटक, शेर एवं बाघ के साथ-साथ दुर्लभ प्रजाति के कीट-पतंगों को भी देख सकेंगे। यह संस्था दुर्लभ पशु पक्षियों, कीट पतंगों एवं तितलियों के स्वछंद विचरण के लिए गार्डन का निर्माण कर रही है। इस गार्डन की नींव, उत्तराखंड के प्रसि़द्ध त्यौहार हरेले के पावन पर्व पर 16 जुलाई को रखी गयी है।
हरेले के दिन वन विभाग एवं कल्पतरू संस्था की ओर से इस गार्डन में एक हजार से अधिक पौधों को लगा कर इसकी शुरुआत की गई। रामनगर वन प्रभाग की प्रभागीय वनाधिकारी नेहा वर्मा ने इस पार्क के बारे में बात करते हुए बताया कि इस गार्डन को स्मृति वन के नाम से जाना जाएगा और इसे चार हेक्टेअर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
स्मृति वन को विकसित करने के पीछे के कारण बताते हुए कल्पतरू के सदस्य नीतेश्वरानंद ने कहा कि कार्बेट पार्क के आसपास के जंगलों में दुर्लभ वन्य जीवों के साथ साथ सैकड़ों प्रजाति के कीट पंतग एवं तितलियां स्वछंद विचरण करती हैं। यहां समय-समय पर विदेशी पक्षी भी अनुकूलन के समय आते हैं। इसलिये उनके वास स्थल के रूप में स्मृति वन को विकसित किया जा रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि स्मृति वन की विशेषता इसकी जैव विविधता होगी। इसमें वन्य जीवों, पशु पक्षियों एवं कीट पतंगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए पेड़ एवं पौधे विकसित किये जाएंगे। इसमें पीपल, बरगद, पीलखन, गूलर, तिमला, बेड़ू, पाकड़, खाकड़ जैसे खास किस्म के पौधे लगाये जा रहे हैं। कुल 5000 से अधिक पौधे लगाये जाने का प्लान है।