Friday, September 1st, 2017
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कमाठीपुरा की लड़कियों ने UK में बयां की भारत की रेडलाइट ज़िंदगी




कमाठीपुरा की लड़कियों ने UK में बयां की भारत की रेडलाइट ज़िंदगीSocial

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मुंबई के कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया में रहने वाली लड़कियां अब लन्दन, ईडनबर्ग फ्रिंज, ब्रिटेन (UK) में दुनिया के सबसे बड़े आर्ट फेयर शो में कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया में बसर कर रही जिंदगियों की कहानी पेश कर रही हैं। भारत के इस बड़े रेडलाइट एरिया की ये बेटियां वहां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल हो रही हैं। लड़कियों की उम्र 15 से 22 साल के बीच है। आर्ट फेयर के साथ ही ये लड़कियां ब्रिटेन के कम्यूनिटी सेंटर, थियेटर और मंदिरों में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी।

दुनिया से अपने दर्द को शेयर करने में हमें कोई शर्म या हिचक नहीं है

कमाठीपुरा सेक्स वर्कर्स की बस्ती से ईडनबर्ग फ्रिंज पहुंची 15 लड़कियों में शामिल हैं कविता होशमानी। कविता कहती हैं कि मैं सूफी सिंगर बनना चाहती थी लेकिन कमाठीपुरा में किसी ने सपोर्ट नहीं किया। 4 साल की उम्र में पिता की मौत हो गई। बाद में जो देखा उसी के जरिए थिएटर के माध्यम से दुनिया को बताने की कोशिश की। स्टेज पर खुद की कहानी परफॉर्म करने की बात पर कविता का कहना है रेडलाइट एरिया में पुलिसवालों द्वारा खुद के साथ सेक्स की फरमाइश या हफ्ता देने का सौदा किया जाता है, इसके अलावा रेडलाइट एरिया में होने वाले हर तरह के अत्याचार को हमने देखा है। ये हमारे जीवन का हिस्सा है। ऐसे में थिएटर के जरिए दुनिया से अपने दर्द को शेयर करने में हमें कोई शर्म या हिचक नहीं है।

UK में सेक्स वर्कर्स सेक्स को इंजॉय करती हैं

गौरतलब है कि इन लड़कियों को इस स्टेज तक पहुंचाने का का काम किया है कमाठीपुरा रेडलाइट एरिया में काम करने वाले NGO ‘क्रांति’ ने। ये लड़कियां फ्रिंज सहित ब्रिटेन में 9 प्ले करेगी। ‘लालबत्ती एक्सप्रेस’ ने फ्रिंज जाने से पहले लंदन में अपने शो का प्रीमियर किया, जिसमें उन लड़कियों की कहानी को दिखाया गया, जो ट्रैफिकिंग का शिकार हुईं। UK में ये लड़कियां सेक्स वर्कर्स के यहां ही रुकी। कविता कहती हैं UK में सेक्स वर्कर्स से मुलाकात अच्छा अनुभव है। कई सेक्स वर्कर्स के मुंह से यह बात सुनकर अच्छा लगा कि वे सेक्स को इंजॉय करती हैं। यहां भी कई लड़कियों को जबरदस्ती इसमें धकेला गया है।

समाज की स्टीरियो-टाइप मानसिकता को चुनौती देना लक्ष्य

शो से हुए अनुभव के बारे में उनका कहना है कि ऑडियंस का हमें भरपूर साथ मिला। किसी ने हमारे दर्द में सहानुभूति दिखाई तो कई दर्शक हमारी कहानी देखते हुए रो भी दिए। ‘लालबत्ती एक्सप्रेस’ के अमेरिकन को-फाउंडर रॉबिन चौरसिया का कहना है कि ‘हमारा उद्देश्य केवल रेडलाइट एरिया से जुड़ी लड़कियों की कहानी दिखाना ही नहीं है बल्कि हम उनके बारे में बनी समाज की स्टीरियो-टाइप मानसिकता को भी चुनौती देना चाहते हैं।

ग्रुप की लड़कियों ने एक लाइन में क्या-क्या कहा पढ़िए

UK गए ग्रुप में शामिल 16 साल की रानी कहती हैं कि मैं बहुत छोटी थी, जब मेरे पिता की मौत के कुछ घंटे बाद ही मेरी मां एक दूसरे आदमी को घर में लाकर मुझसे बोलीं कि अब ये तुम्हारे पिता हैं। उसके बाद हर रोज मार-पिटाई से घर का माहौल खराब रहने लगा इसलिए मैं घर से भाग आई और मुझे क्रांति के जरिए एक आश्रम में जगह मिली। यहां आकार मैंने सीखा है कि माफी ही सबसे बेहतर उपहार है, जो आप खुद को और दूसरों को दे सकते हैं। इस ग्रुप की एक सदस्य अश्विनी जल्द ही न्यू यॉर्क के लिए उड़ान भरने वाली हैं। अश्विनी वहां साइकॉलजी की पढ़ाई करने जा रही हैं। 19 साल की अश्विनी का कहना है कि इस शो ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है – मैंने फ्रिंज में कई शो देखे हैं, इनमें कई शो में मैंने ऐसा कुछ देखा जो मुंबई में कभी नहीं देखा था। थिएटर हमारे घावों को भरने में हमारी मदद कर रहा है क्योंकि इसके जरिए हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पा रहे हैं। अगले हफ्ते यह ग्रुप ग्लासगो और इल्गेन में परफॉर्म करेगा। इनकी इस यात्रा के लिए फंड क्राउडफंडिंग के जरिए जुटाया गया है।

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