युद्ध कभी अच्छे नहीं होते। युद्ध कभी खुशियाँ नहीं देते। खुशियाँ देती हैं कहानियाँ पर जंगों की कहानियाँ एक और चीज देती हैं वो है ‘गर्व’। अपने देश पर गर्व, अपने हीरोज़ पर गर्व। पढ़ें उन्हीं हीरो की कहानियाँ…
1962 का भारत-चीन युद्ध
ये युद्ध भारत और चीन के बीच 1962 में हुआ था। इसे भारत चीन सीमा विवाद के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में भारत की हार हुई थी। लेकिन इस युद्ध के पांच साल बाद भारत ने अपनी हार का बदला चीन से लिया था, वो भी दो अलग-अलग स्थानों पर। 1967 में दोनों देशों की सेनाएं लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी लोहे की बाड़ को लेकर एक-दूसरे के सामने आ गई थीं। साल 1967 से पहले सीमा का ये हिस्सा ऐसा नहीं था। यहां सीमा की पहचान के लिए सिर्फ ऐ पत्थर लगा था। तब नाथुला के पास तैनात मेजर जनरल सगत राय की अगुवाई में सीमा पर कंटीली बाड़ लगाने का फैसला किया। कंटीली बाड़ को लेकर खूनी लड़ाई तब शुरु हुई जब जुबानी झड़प के बाद चीन ने बाड़ लगा रही भारतीय सेना पर हमला कर दिया। बाड़ लगाने में जुटे इंजीनियर यूनिट समेत भारतीय सेना के 67 जवान मारे गए। इसके बाद भारतीय सेना का खून खौल उठा। जवाबी हमला शुरू हुआ और चीन की मशीनगन यूनिट को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया। इसके बाद न तो कभी चीन ने घुसपैठ की कोशिश की और न ही कभी भारतीय सेना से टकराने की हिम्मत की।
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