हमारे देश के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा बहुत चर्चित और सफल माना जा रहा है और इस सफलता और चर्चा के पीछे, मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ आतंकवाद पर हुई चर्चा और फिर दोनों के द्वारा आतंकवाद के खिलाफ किया गया शंखनाद भी है। मोदी ने अमेरिका से अपने दिए वक्तव्य में आतंकवाद को और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को भी ललकारा है।अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी आतंक की इस पीड़ा को महसूस किया है और आतंक को दुनिया से उखड फेंकने में हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
आतंकवाद दुनिया का एक ऐसा दुश्मन या बड़ी समस्या है जिसको मिटाने की जरुरत पूरी दुनिया महसूस कर रही है। दुनिया के कुछ देश ऐसे भी हैं जिनकी ज़मीन पर आतंकवाद पैदा होता है और फिर यह अपनी ही ज़मीन के लोगो को निगलता भी है। हमारा देश भारत इस समस्या से हमेशा जूझता आया है और सर-हद पार से आने वाला आतंक सबसे ज्यादा प्रभावित करता है भारत को। ग्लोबल टेरेरिस्म इंडेक्स के आंकड़ों के हिसाब से, आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत 7वे स्थान पर है।
दुनिया में आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में पांच ऐसे देशों का नाम है, जिनकी सरजमी पर ही आतंकवाद की पैदाइश भी होती है और वह पीड़ित भी हैं उन देशो के नाम है ईराक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, और सीरिया। इन देशों के आम नागरिक अपने ही लोगो के आतंक से हमेशा खौफ में जीने के लिए मजबूर हैं। यहाँ से पैदा हुआ आतंक पूरी दुनिया को अपने में समेट लेने को आतुर है।
आज अगर आँकड़े देखे जाए तो आतंकवाद से मरने वालो की संख्या, सन् 2000 की तुलना में कई गुना बढ़ी है, पहले जहाँ लगभग 3325 लोग आतंक की चपेट में आ कर अपनी जान गवा देते थे, 2015 के आंकड़ो में वो संख्या लगभग 32,648 हो गई। पूरी दुनिया में चल रहे आतंकवाद की चपेट में आए लोगों की मौत के ज़िम्मेदार कुछ गिने चुने आतंकवादी संगठन हैं और उनके नाम हैं – इस्लामिक स्टेट, बोको हरम, तालिबान, और अल कायदा जो दुनिया में हुई 74% मौतों को अंजाम दे चुके हैं।
इन पांच देशों के अलावा आतंकवाद से प्रभावित शीर्ष 10 देशों की सूची में यमन, भारत, सोमालिया, ईजिप्ट और लीबिया भी आते हैं। इन देशो में फैले आतंकवाद से यहाँ के जो हालत हैं वो बहुत ही दयनीय हैं। इनकी दशा को और थोड़ा विस्तार से जानते हैं-
ईराक– इस देश में 40 अलग अलग आतंकवादी संगठन सक्रीय हैं जो आये दिन आतंक का खेल खेलते रहते हैं, लेकिन 2 संगठन मुख्य रूप से यहाँ फैले आतंकवाद के लिए ज़िम्मेदार हैं और उनके नाम इस्लामिक स्टेट और अल कायदा हैं। इस्लामिक स्टेट ईराक में अब तक 11000 मौतों के लिए जिम्मेदारी ले चुका है। और असल आंकड़े इससे कही ज्यादा हो सकते हैं।
अफगानिस्तान- जहाँ पकिस्तान में आतंक से थोड़ी राहत है वहीँ अफगानिस्तान के हालात आतंकवाद के मामले में बहुत ख़राब हैं। अभी पिछले एक दो साल में लगभग 1800 सौ आतंकी हमलों में 6000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और इससे कहीं ज्यादा घायल हुए हैं। सन् 2000 से लेकर अब तक के आंकड़ो में हुए हमलों में कुल मरने वालों की संख्या 24000 के पार है।
नाइजीरिया– आर्मी के दबाब के चलते नाइजीरिया में बोको हराम की सक्रियता कुछ कम हुई है फिर भी वह अपनी सक्रियता दिखता रहता है। अगर आंकड़े देखे जाएँ तो 600 के करीब हमलों में 5000 से ज्यादा लोगो की मौत हुई है नाइजीरिया में आतंक के हमले से।
पाकिस्तान- साल 2014 में पाकिस्तान में आतंकवाद में पर्याप्त कमी आई थी, 45% कम हमलों और 38% कम मौतें हुई थीं। फिर भी, 2015 में दर्ज 1,008 घटनाओं में 1,086 लोगों की जाने गईं थी और 1,337 घायल हुए थे। पाकिस्तान में उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में सबसे घातक आतंकी समूह तेहरिक-ए-तालिबान है, जो यहाँ आतंक से होने वाली 36% मौतों के लिए जिम्मेदार है
सीरिया– 400000 मौतों के साथ मिडिल ईस्ट सबसे ज्यादा घातक और सबसे ज्यादा जीवन को नुकशान पहुँचाने वाली जगह बन गया है। यहाँ इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों से पूरी दुनिया दुःख में डूब गई। सीरिया में ज्यादातर मौतें यहाँ की सरकार और राष्ट्रपति बशर अल असद की सेनाओं और उनके रुसी और इरानी सहयोगियों के कारण हुई हैं किन्तु इसे ये लोग आतंकवाद में नहीं गिनते जो बड़ी शर्म और दुःख की बात है। इन राजनेताओं के कृत्यों को छोड़कर अगर देखा जाए तो 2014 से 15 में यहाँ 400 से ज्यादा आतंकी घटनाएं हुई जिनमे मरने वालो की संख्या 3000 के पार थी। यहाँ हर साल पिछले साल की तुलना में मौतों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
इन पांच देशों के अलावा आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित दस देशों की सूची में यमन के बाद 7वे पर भारत, 8वे पर सोमालिया और 9वे व 10वे स्थान पर क्रमशः इजिप्ट और लीबिया हैं।