ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ.सी राजकुमार द्वारा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अर्मत्य सेन से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध कार्यों से संबंधित फ्यूचर ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी किताब की तुलनात्मक और अंतराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की पहली कॉपी भेंट की गई। राष्ट्रपति डॉ.मुखर्जी ने इस किताब को लांच करने के दौरान कहा कि- भविष्य की यूनिवर्सिटीज को देश के महान वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, कलाकारों, शिक्षकों, चिकित्सकों, इंजीनियरों और आविष्कार के क्षेत्र में आने वाले नए नौजवानों को बनाने में मदद करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह किताब इस समय आई है जब पूरे विश्व में सामाजिक , राजनीतिक, आर्थिक बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में देश की यूनिवर्सिटीज को अपनी भूमिका पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत है। बता दें कि ये किताब उच्च शिक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय और तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है। इतना ही नहीं आज इंडियन यूनिवर्सिटीज जिन सामाजिक मुद्दों का सामना कर रही है उन मुद्दों को भी उजागर की जाने की कोशिश इस किताब में की गई है। इसमें चैप्टर कानून, उदार कला, अंतराष्ट्रीय संबंध, , विज्ञान और प्रोद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा लिखे गए हैं। जो हमारे समय के सबसे बड़ी चुनौतियों को भी दर्शाती है। इसमें कंट्रीब्यूट करने वाले लोगों ने भारतीय उच्च शिक्षा में उद्देश्य की भावना को लाने के लिए मौलिक सुधारों का तर्क दिया है।
डॉ..सी राजकुमार के अनुसार इस समय यूनिवर्सिटीज को उनकी भूमिका और उच्च शिक्षा की भूमिका पर पुर्नविचार करने पर मजबूर किया जा रहा है। किताब में इसे लेकर सवाल उठाए गए हैं कि भविष्य में केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी भविष्य की यूनिवर्सिटीज कैसे तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये किताब कई तरह के विचारों और दृष्टिकोण की परिणति है, जो कि तुलनात्मक और अंतराष्ट्रीय आयामों के जरिए विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी के निर्माण की भारत की आकांक्षाओं को आकार देगी।