एक एवरेज इंसान अपनी ज़िन्दगी में क्या चाहता हैं, उसकी पढ़ाई ढंग से हो जाए। ज़्यादा की उम्मीद नहीं तो पासिंग मार्क्स ही ले आए। इसके बाद नौकरी लग जाए और अपना खुद का घर बन जाए, एक अच्छा एवरेज देने वाली बाइक हो और इसके बाद एक प्यारी सी पत्नी मिल जाए। बस लाइफ सेटल! यही सोचता है एक एवरेज इंसान लेकिन चेतन भगत की क्रिएटिविटी कुछ अलग है।
यहां पर जिस एवरेज इंसान की चाहत हमने आपको बताई वो चेतन भगत नहीं है वो तो आप और हम जैसे ही एक एवरेज इंसान है जो कार का न सही लेकिन बाइक का सपना जरूर देखते हैं लेकिन एक आईआईटी और आईआईएम से पास बंदे का तो एक ही मोटो होता है। या तो किसी एमएनसी में 10 के पीछे पांच से छः जीरो वाली इनकम हो या किसी स्टार्टअप के मालिक हो। चेतन भगत के पास भी कोई बुरी नौकरी नहीं थी, विदेश में इनवेस्टमेंट बैंकर थे लेकिन लिखने का भूत चड़ा तो सब कुछ छोड़छाड़ के बन गए लेखक। आज हम आपको इन्हीं की कहानी बताने वाले हैं।
कई लोगों के मुंह से सुना है कि हमने तो बुक पढ़ना चेतन भगत की वजह से स्टार्ट किया है। तो चेतन भगत ही वो मसीहा है जिन्होंने आज के नौजवानों को किताबों में कोई होप दिखाई वरना आज तक तो सब यही कहते थे कि ‘‘यार! किताब खोलते ही नींद आ जाती है।’’ चेतन भगत लिखते ही कुछ ऐसा है अपनी भाषा और लिखावट में ऐसा बांध के रखते हैं कि नींद तो दूर उबासी भी नहीं आती।
खैर अब हम चलते हैं चेतन भगत के बचपन की ओर। चेतन भगत 22 अप्रैल 1974 को नई दिल्ली में जन्मे थे। चेतन के पापा जो थे वो आर्मी में थे इसलिए उनकी शिक्षा ढोला कुआ ‘आर्मी पब्लिक स्कूल’ में हुई थी। चेतन भगत पर लेखक बनने का भूत बचपन से सवार नहीं था और ना ही ये कोई डीएनए कॉम्पलैक्स है ये तो किस्मत और हुनर की बात है। जो चेतन भगत ने सही समय पर सही जगह वार किया।
चेतन भगत बचपन में रसोईया यानि शेफ बनना चाहते थे। लेकिन किसी आर्मी के जवान का बेटा शेफ बने ये किस बाप को मंजूर होता है तो ये चेतन के पिता को भी मंजूर नहीं था। चेतन के पिता उन्हें खूब डांटते थे ‘तुम शेफ नहीं बनोगे।’ इसलिए चेतन ने इरादा बदल लिया और अपना मन आईआईटी और आईआईएम में लगा लिया।
यहां से पढ़ाई करने के बाद नौ साल के कॉन्ट्रेक्ट पर चेतन भगत इनवेस्टमेंअ बैंक की नौकरी करने हॉंन्कॉन्ग चले गए। वहां दिमाग में आया कि मैं कुछ लिख सकता हूं। धीरे-धीरे लिखने का शौक पैदा हुआ लेकिन अब ये समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या लिखा जाए जिससे धमाका हो जाए। चेतन भगत स्टार बन जाए।
तब चेतन को एक आईडिया आया क्यों न अपने एक्सपीरिएंस को लिखा जाए, क्यों न आईआईटी हॉस्टल की लाइफ के बारे में लिखा जाए। जब वो आईआईटी में थे तो खूब मजे किया करते थे और काफी सारा यूथ है जो हॉस्टल में रहता हैं तो हो सकता है हर किसी को पसंद आए। तो बस इसी सोच के साथ चेतन भगत निकल पड़े अपने पहले नॉवेल की रचना करने।
चेतन ने दिन-रात एक किया और आईआईटी हॉस्टल के एक्सपीरिएंस पर बेस्ड नॉवेल ‘फाइव पाइंट्स समवन व्हाट नॉट टू डू एट आईआईटी’ लिख डाला। इस नॉवेल में तीन लड़कों की कहानी थी जो आईआईटी दिल्ली के हॉस्टल में रहते थे। इस नॉवेल का जादू हिंदुस्तान के यंगिस्तान पर कुछ ऐसा पड़ा कि चेतन भगत रातों-रात सुपरस्टार बन गए।
चेतन भगत की पहली ही नॉवेल बेस्ट सेलर की बुक में आ गई इतना ही नहीं बाद में इस नॉवेल को लेकर फिल्म डायरेक्टर राजू हीरानी ने थ्री इडियट बनाई जिसमें आमिर खान, शरमन जोशी और आर माधवन तीनों दोस्तों के रूप में नज़र आए। नॉवेल से भी ज़्यादा हिट ये फिल्म हुई और फिल्म ने यूथ की सोच को बदल कर रख दिया।
अपनी पहली ही बुक से चेतन भगत फेमस तो हुए लेकिन अब उन्हें ये भी भान हो गया कि मैं बहुत अच्छा लिख सकता हूं तो उन्होंने अच्छी-भली इनवेस्टमेंट बैंक की नौकरी को छोड़कर फुल टाइम लेखक बनने का निर्णय लिया। एक बार मुंबई के एयरपोर्ट पर उन्होंने कहा भी था कि ‘‘मुझे हाईप्रोफाइल नौकरी छोड़ने का गम नहीं हैं क्योंकि लेखन में सफल होने की वजह से आज मैं सिर्फ उपन्यास ही नहीं बल्कि कई समाचार पत्रों में कॉलम्स भी लिखता हूं। मुझे कई कंपनियों से मोटिवेशन टॉल्कस के लिए भी बुलाया जाता है।’’
चेतन भगत की इस नॉवेल के बाद थ्री मिस्टेक इन माई लाइफ आई जिस पर फिल्म काई पो छे बनी। फिर 2 स्टेट्स आई जिस पर फिल्म 2 स्टेट्स बनी। इसके अलावा चेतन भगत ने वन नाइट एट द कॉल सेंटर, रेवोल्यूशन 2020, वन इंडियन गर्ल जैसी नॉवेल रहीं जिन्होंने बेस्ट सेलर बुक में अपना नाम कमाया।
चेतन की कई किताबों पर फिल्में बनी है। हाल ही में उनकी नॉवेल ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ पर फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ रिलीज़ होने वाली है। फिल्म इंटरनेट पर तो धमाका कर रही हैं अब देखना है कि बड़े पर्दे पर ये फिल्म सुपरहिट होती है या नहीं।