बारिश के दिनों में मुंबई के हालात किसी से छिपे नहीं है। हर साल इसी तरह बारिश के कारण लोग बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं और कई अनजान लोग फरिश्ता बनकर लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं और फिर न जाने कहां गायब हो जाते हैं। ऐसा ही हुआ बाढ़ में फंसी एक युवती शिखा चावला के साथ। बाढ़ में फंसी शिखा को बचाने के लिए एक गुमनाम हीरो ने ऐसी ही एक मिसाल कायम की है। उसने अपनी गाड़ी की परवाह भी न करते हुए शिखा को सही सलामत उसके घर तक पहुंचाया। मदद के बाद ये फरिश्ता कहां गया कुछ पता नहीं, लेकिन अब खुद शिखा उस अनजान शख्स का धन्यवाद देना चाहती है और अब वे खुद उनके लिए मदद मांग रही है। इसके लिए शिखा ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। मुंबई की रहने वाली शिखा ने सोशल मीडिया पर एक कहानी पोस्ट करते हुए लोगों से उस लड़के की मदद करने की सिफारिश की है।
शिखा ने 30 अगस्त को फेसबुक पर लिखा, 29 अगस्त 2017 का दिन, मैं कभी नहीं भूल सकती। ये दिन मुझे एक नेकदिल इंसान के कारण हमेशा याद रहेगा। मैं अपने ऑफिस से करीब दोपहर 2:45 बजे निकली, बारिश बहुत तेज थी। मैंने ऑटो ढूंढा, ओला/ऊबर बुक करने के लिए ट्राई किया (ट्रेने बंद थीं)। 3 बजे के करीब एक कैब ड्राइवर रुका, जिसकी फ्रंट सीट पर पहले से कोई बैठा था। उसे मेरे लिए खराब महसूस हुआ और मुझे घर ड्रॉप करने के लिए तैयार हो गया। उससे बात करते हुए मालूम हुआ वह बांद्रा में अपने निजी काम से आया था। फ्रंट सीट पर बैठा शख्स उसका रिश्तेदार है।
3 बजे से मैं सिर्फ कैब में नहीं बैठी, उस वक्त से शुरू हुआ मेरा सफर लगभग अगले 5-6 घंटे तक अच्छा रहा। हम सभी हाई-वे और सिग्नल्स पर धीरे-धीरे चल रहे थे। ज्यादातर ग्रीन सिग्नल बंद थे। घुटनों तक भरे पानी से उसकी गाड़ी कई जगह ठुकी। एक भी दफा उन्होंने उफ्फ नहीं किया। शिकायत नहीं की और न ही मुझे उतर कर पैदल चले जाने को कहा। परिवार वाले और दोस्त मेरा स्टेटस पढ़ने के बाद बार-बार कॉल करके मेरा हाल-चाल पूछ रहे थे। सभी को जवाब देते देख उन्होंने मुझसे कहा- मैडम, घर वालों को बता दो आप ठीक-ठाक पहुंच जाएंगाी. मैं आपको कैसे भी घर छोड़ के रहूंगा। आप मेरी गाड़ी में सेफ हैं।
उन्होंने गाड़ी को दौड़ाकर, खुद घर देर से पहुंचने की कीमत पर हर मुश्किल हालात से लड़कर मुझे करीब 8:30 बजे अंधेरी ड्रॉप किया। काश! मैं उन्हें वो दे पाती जो उन्होंने मेरे लिए किया। खैर… मैं उनकी मदद का जरिया बनने के लिए सोशल मीडिया पर अपना लक ट्राई कर रही हूं। सफर के दौरान उनसे बात करते हुए पता चला कि फ्रंट सीट पर बैठे उनके रिश्तेदार गांव से आए हैं और नौकरी की तलाश में हैं।
वह तकरीबन 20 से 25 साल के हैं और गांव में कम्यूटर टीचर हैं। शहर में कम्पयूटर ऑपरेटर की नौकरी की तलाश में हैं। मनोज कुमार 10 हज़ार से ज्यादा सैलरी की उम्मीद कर रहे हैं। आप भी उनकी मदद कर सकते हैं। उनका नंबर है- 9682829212 भले ही उन्हें मेरा नाम याद न रहे, पर मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि जैसे ही कुछ बन पड़ेगा उन्हें फोन जरूर आएगा। अगर आप भी किसी ऐसे शख्स या संस्थान को जानते हैं जिसे कम्यूटर ऑपरेटर की जरूरत है, तो उनकी मदद करें।