Wednesday, September 20th, 2017 18:00:35
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हम भूल गए दौना -पत्तल, अब विदेशी अपना रहे हमारी संस्कृति




Art & Culture

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आपको दौना और पत्तल याद हैं, जिनमें कभी खाना परोसा जाता था। यहां तक की किसी शादी में जाना हो तो खाना पत्तों की इन प्लेट्स और कटोरियों में ही दिया जाता था। पानी पुरी वाला भी इन्हीं दौने में पान-पुरी खिलाता था। खैर , ये बीते समय की बात हो गई, जब इन पत्तों से बने दौना और पत्तल का इस्तेमाल भारत में किया जाता था। लेकिन अब इसकी जगह डिस्पोजल ने ले ली है। हमारी भारतीय संस्कृति में भले ही इसका कल्चर खत्म हो गया हो, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि विदेशी लोग हमारे कल्चर से इंस्पायर होकर कुछ ऐसा ही आविष्कार कर रहे हैं।

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वे अपनी लाइफस्टाइल में इन्हीं दौना और पत्तल को शामिल करते हुए पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश भी दे रहे हैं। उन्होंने पत्तों का इस्तेमाल इस तरह की प्लेट्स और कटोरी में शुरू कर दिया है।

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दरअसल, जर्मनी की एक “लीफ रिपब्लिक” कंपनी है, जिसके सदस्य मिलकर पत्तों से ये प्लेट और कटोरियां तैयार करते हैं। यह कंपनी वर्तमन में उन लोगों के छोटे से ग्रुप द्वारा चलाई जा रही है , जिनमें इंजीनियरों और डिजाइनरों की एक टीम है जो इन उत्पादों को बनाते हैं और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल कैसे बनाना है ये बताते हैं। इस कंपनी के सदस्यों का कहना है कि हम हमें किसी भी चीज को खूबूसरती के साथ पेश करना बहुत अच्छा लगता है। पैकेजिंग हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। और ये समय है क्रांति लाने का है।

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ग्रुप के मुताबिक हमें किकस्टिकर अभियान के जरिए पहला फंड मिला। इससे हमने पत्तों से विभिन्न आकार के कटोरे , ट्रे और प्लेट बनाना शुरू की। इतना ही नहीं हमारी इस पहल से पर्यावरण तो सुरक्षित रहेगा ही साथ ही यहां के लोगों को एक नया कल्चर मिलेगा।

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