सरकार अभी तक सरकारी कर्मचारियों को नौकरी रहते सरकारी फ्लैट देती थी। रिटायर होने क बाद एम्प्लोयज़ को फ्लैट छोड़ना पड़ता हैं, लेकिन कर्मचारियों को अब ऐसा कुछ नहीं करना होगा। सरकार अब एक ऐसी स्कीम ला रही है, जिसके बाद उन्हें अपना वह फ्लैट नहीं छोड़ना होगा, रिटायरमेंट के बाद भी वह उसी घर में रह सकेंगे। मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एण्ड अर्बन अफेयर्स ने Rent To Own स्कीम तैयार की है। इसके तहत सराकारी कर्मचारी को एक तय समय तक वह किराया देना होगा और उसके बाद वह घर गर्वनमेंट एम्प्लोयज़ का ही हो जाएगा। सरकार ने यह जिम्मेदारी हडको (हाउसिंग एण्ड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) को सौंपी हैं। इस स्कीम के तहत वह सरकारी विभागों को लोन प्रोवइड कराए, ताकि सरकारी विभाग अपने कर्मचारियों के लिए घर बनाने में आगे आएं।
इस मकसद से तैयार की यह स्कीम
हाउसिंग फॉर आल स्कीम के तहत सरकार सबको घर मुहैया कराना चाहती हैं यह इसका मुख्य मकसद है। सरकार ने तय किया है इसका लाभ सरकारी विभागों में कर रहे लोअर कैटेगरी के कर्मचारियों को दिया जाएगा। इनके लिए सरकारी विभाग या एजेंसी मकान बनाएंगी। इसके लिए सरकार ने तय किया है कि मकान तैयार होने के बाद उसकी कीमत तय की जाएंगी और EMI के तौर पर वह मकान कर्मचारियों को दे दिया जाएगा। EMI पूरी होने पर मकान का मालिकाना हक भी कर्मचारियों को दे दिया जाएगा।
हडको को के एक अधिकारी ने बताया कि, ‘‘पिछले कुछ समय से बहुत सी कंपनियों ने कर्मचारियों के लिए घर बनाना करीब-करीब बंद कर दिया है। उसकी वजह है ज़मीनों की बढ़ती कीमत। इसके लिए ऐजंसियों को अपने बजट में बड़ा प्रोविज़न करना पड़ता है। इस स्कीम को प्रमोट करने के लिए उन सरकारी ऐजंसियों को लोन दिया जाएगा, जो अपने लोअर कैटेगरी कर्मचारियों के लिए रेंट टू ओ़न के तहत घर बनाना चाहती है।’’
25 जून 2015 को हाउसिंग फॉर ऑल मिशन के तहत यह योजना शुरू की थी। इस मकसद को पूरा करने के लिए मोदी सरकार लोअर कैटेगिरी के कर्मचारियों के लिए रेंट टू अ़ोन स्कीम शुरू की है। मोदी ने कहा था कि शहरों में 2022 तक 2 करोड़ घर बनाना है, इसे पूरा करने के लिए सरकार जहां ईडब्ल्यूएस एवं एलआईजी फ्लैट्स बनाने के लिए राज्य सराकरों को ग्रांट दे रही हैं, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही अफोर्डेबल स्कीम के तहत बिल्डर्स को प्रमोट किया जा रहा हैं।